ज्योतिष समाचार: भारतवर्ष में गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता और शुभारंभ के देवता के रूप में पूजा जाता है। किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पहले श्री गणेश जी की वंदना की जाती है ताकि सारे विघ्न दूर हों और कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो सके। पौराणिक ग्रंथों, पुराणों और शास्त्रों में भगवान गणेश के कई मंत्र, स्तोत्र और चालीसाएं वर्णित हैं, लेकिन उन सभी में ‘गणेश अष्टकम स्तोत्रं’ को एक विशेष स्थान प्राप्त है। यह स्तोत्र भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल, सुलभ और प्रभावशाली उपाय माना जाता है।
क्या है ‘गणेश अष्टकम स्तोत्रं’? गणेश अष्टकम एक संस्कृत स्तोत्र है जिसमें आठ श्लोक होते हैं। यह स्तोत्र भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करता है और उनके स्वरूप, शक्ति, और कृपा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र आदिकवि वाल्मीकि द्वारा रचित माना जाता है और इसमें भगवान गणेश की स्तुति के माध्यम से भक्त अपने कष्टों, विघ्नों और बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करता है। पाठ का महत्व ‘गणेश अष्टकम स्तोत्रं’ का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है बल्कि मानसिक शांति, बुद्धि, विवेक और स्मरण शक्ति को भी बढ़ाता है। यह स्तोत्र विद्यार्थियों, व्यापारियों, नौकरीपेशा लोगों और साधकों के लिए अत्यंत फलदायक माना गया है।
क्यों है यह स्तोत्र सबसे सरल उपाय? संक्षिप्त और प्रभावशाली: अन्य मंत्रों की तुलना में यह स्तोत्र मात्र आठ श्लोकों का है जिसे कोई भी व्यक्ति कुछ ही समय में स्मरण कर सकता है। भावनात्मक जुड़ाव: इसमें भगवान गणेश की सजीव छवि उभरती है, जिससे पाठ करते समय भक्त भाव-विभोर हो उठता है। बाधा निवारण: माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन के सारे विघ्न समाप्त होते हैं। श्रद्धा से युक्त: यह स्तोत्र न केवल शब्दों का संगम है बल्कि श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक भी है।
कब और कैसे करें पाठ? समय: प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में या संध्या के समय यह स्तोत्र पढ़ना श्रेष्ठ रहता है। स्थान: शांत, पवित्र और स्वच्छ स्थान पर बैठकर पाठ करें। विधि: पहले हाथ-पैर धोकर भगवान गणेश का ध्यान करें, उन्हें दूर्वा, लाल फूल और मोदक अर्पित करें, फिर श्रद्धा पूर्वक स्तोत्र का पाठ करें। श्रद्धालुओं के अनुभव अनेक भक्तों का मानना है कि ‘गणेश अष्टकम स्तोत्रं’ का पाठ करते ही उनके जीवन में अद्भुत परिवर्तन हुआ। विद्यार्थी कहते हैं कि इससे उनकी स्मरण शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि हुई, वहीं व्यापारी वर्ग ने बताया कि अड़चनों के बावजूद कारोबार में तरक्की मिलने लगी। कई लोगों ने इसे मानसिक तनाव से मुक्ति का एक साधन भी बताया। विज्ञान क्या कहता है? वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो नियमित मंत्रोच्चारण, विशेषकर संस्कृत श्लोकों का पाठ, मस्तिष्क में सकारात्मक कंपन (positive vibrations) उत्पन्न करता है। इससे मानसिक शांति, आत्मविश्वास और ऊर्जा का स्तर बढ़ता है, जो किसी भी चुनौती का सामना करने में सहायता करता है।