गंगा दशहरा के अवसर पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

हरिद्वार: गंगा दशहरा के अवसर पर धार्मिक नगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। धार्मिक नगरी में उमड़ी भीड़ के कारण हरिद्वार-देहरादून हाईवे पर जाम लग गया। भारतीय सभ्यता और संस्कृति की पोषक मां गंगा अवतरण दिवस ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। कई दशकों के बाद इस वर्ष गंगा दशहरा पर हस्त नक्षत्र, सिद्धि योग और व्यतिपात योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस दिव्य संयोग पर गंगा दशहरा के पर्व पर गंगा स्नान, दान और तप करने से कई गुना अधिक फल मिलता है। राजा भगीरथ अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए मां गंगा को धरती पर लाए थे। युगों-युगों से मां गंगा सभी जीवों को जीवन के साथ-साथ मोक्ष प्रदान करती आ रही हैं।

मान्यता के अनुसार इस बार कई दशकों बाद 5 जून को गंगा दशहरा पर कई दिव्य महायोग बन रहे हैं, जिन योगों में देवी गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। इस वर्ष गंगा दशहरा पर हस्त नक्षत्र, सिद्धि योग और व्यतिपात योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इससे गंगा दशहरा पर्व का महत्व और बढ़ गया है। इन दुर्लभ योगों के कारण गंगा दशहरा पर्व पर स्नान, दान, जप, तप, व्रत और उपवास का बहुत महत्व है। गंगा दशहरा स्नान और दान के साथ ही तन और मन को शुद्ध करने का पर्व है। ज्योतिषाचार्य उदय शंकर भट्ट का कहना है कि विशेष योग की साक्षी में गंगा माता की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी। मां गंगा कल्याण करने वाली माता के रूप में भारतीय संस्कृति की रीढ़ हैं। गंगा दशहरा पर क्या न करें गंगा दशहरा के दिन हम जाने-अनजाने में गंगा तट पर पुण्य की जगह कई पाप कर्म कर बैठते हैं। जिसमें गंगा स्नान के दौरान शरीर की गंदगी को गंगा में नहीं धोना चाहिए। कपड़े भी गंगा में नहीं धोने चाहिए। यथाशक्ति दान करने के साथ ही मिट्टी के दीये में शुद्ध घी का दीपक जलाकर गंगा में अर्पित करना चाहिए। प्लास्टिक और अन्य गैर जैविक सामग्री को गंगा में नहीं फेंकना चाहिए।