धार्मिक आस्था: आषाढ़ मास की शुरुआत हो चुकी है। इस मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आषाढ गुप्त नवरात्रि का आरंभ होता है। आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का बड़ा ही महत्व है। इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 19 जून से शुरु हो रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक साल में दो बार गुप्त नवरात्र आते हैं, जो माघ मास के शुक्ल पक्ष में और आषाढ़ मास क शुक्ल पक्ष में पड़ते हैं।
माना जाता है कि गुप्त नवरात्र में माता नौ रुपों की सच्चे मन से पूजन और अराधना करता है उसे मां की विशेष कृपा बरसती है।और मनचाहे फल की प्राप्ति भी होती है। साल में चार नवरात्रि आती है। जिनमें आश्विन मास की शारदीय और चैत्र नवरात्रि को श्रद्धालु बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। इन्हें प्रकट नवरात्रि कहते हैं। जबकि माघ और आषाढ़ में जो नवरात्रि आती है उसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
महत्व
नवरात्रि की उपासना में चारो नवरात्रि में दोनों प्रकट नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। जबकि गुप्त नवरात्रि पर देवी की दस महाविद्याओं की साधना की जाती हैं। देवी की ये दस महाविद्याएं बहुत ही शक्तिशाली हैं और जिस भक्त पर कृपा कर देती हैं उनके लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता है। देवी की ये दस महाविद्याएं हैं- काली, तारा (देवी), छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी (त्रिपुर सुंदरी), धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला। गुप्त नवरात्रि में श्रद्धालु तंत्र मंत्र की सिद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए इनकी उपासना करते हैं।
शुभ संयोग
गुप्त नवरात्रि अबकी बार 19 जून से शुरु हो रहा है और 27 नवंबर को खत्म होगा। ऐसे में अबकी बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 9 दिनों की होगी। इस दौरान 25 जून को सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है जबकि पूरे गुप्त नवरात्रि के दौरान 4 रवि योग का संयोग बना है जो बेहद दुर्लभ है। इस नवरात्रि में 20 जून, 22 जून, 24 और 27 जून को रवियोग लग रहा है।