ज्येष्ठ के पावन महीने में आखिरी बड़े मंगल पर हनुमान विधिवत पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ दिन आज

धर्मः आज 30 मई को साल का आखिरी बड़ा मंगल हैं जिसे बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता हैं जो कि ज्येष्ठ के पावन महीने में पड़ता हैं। ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले बड़े मंगल को हनुमान पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ दिन माना जाता हैं इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत रखते हुए दान पुण्य के कार्य भी करते हैं। ऐसे में अगर आप आज के दिन हनुमान जी की आराधना कर उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो पवनपुत्र हनुमान की विधिवत पूजा करें और अंत में उनकी प्रिय आरती का जरूर पढ़ें मान्यता है कि पूजन के बाद हनुमान जी की आरती गाने से प्रभु अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।

श्री हनुमान आरती

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥ मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥ वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥ ॥ आरती ॥ आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ दे वीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥ लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ लंका जारि असुर संहारे । सियाराम जी के काज सँवारे ॥ लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे । लाये संजिवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ पैठि पताल तोरि जमकारे । अहिरावण की भुजा उखारे ॥ बाईं भुजा असुर दल मारे । दाहिने भुजा संतजन तारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें । जय जय जय हनुमान उचारें ॥ कंचन थार कपूर लौ छाई । आरती करत अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ जो हनुमानजी की आरती गावे । बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥ लंक विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ ॥ इति संपूर्णंम् ॥