झुंझुनू: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज किसान परिवार का कोई व्यक्ति इस पद तक पहुंचा है, इसे देखकर आज संविधान निर्माता को बहुत बड़ा सुख मिलेगा। धनखड़ अपने पैतृक गांव किठाना (झुंझुनूं) में आयोजित सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं इसी मिट्टी का लाल हूं और हर दिन गांव को याद करता हूं।
इससे पहले गुरुवार सुबह उपराष्ट्रपति बनने के बाद जगदीप धनखड़ पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंचे। हेलीपैड पर हुए स्वागत के बाद वे सबसे पहले अपने आराध्य बालाजी के मंदिर पहुंचे। मंदिर तक के रास्ते में हजारों की संख्या में मौजूद लोगों ने उनका स्वागत किया। मंदिर में पूजा-अर्चना करने और भगवान का आशीर्वाद लेने के बाद वे अपने घर पहुंचे। यहां वे अपने दोस्तों और परिवारजनों से मिले।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने गांव के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय के स्कूल की नई बिल्डिंग का भी शिलान्यास किया। धनखड़ ने अपनी पांचवी क्लास तक की पढ़ाई यहीं से की है। यहां पहुंचने बच्चों ने उनका अभिनंदन किया। सभी बच्चे देश के उपराष्ट्रपति को अपने बीच पाकर काफी खुश दिखे। उपराष्ट्रपति अपनी पत्नी सुदेश के साथ अपने स्कूल पहुंचे। शिलान्यास कार्यक्रम में उनके साथ सांसद नरेन्द्र खीचड़, कई अधिकारी और राजस्थान सरकार की मंत्री ममता भूपेश भी मौजूद रहीं। पेशे से वकील रहे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गांव के बाद आगे की पढ़ाई चित्तौड़ सैनिक स्कूल और जयपुर से की है। आज जब वे अपने प्राइमरी स्कूल पहुंचे तो यहां के स्टाफ व बच्चों ने उन्हें पुरानी फोटोज का कोलाज गिफ्ट किया।
धनखड़ ने यहां के कार्यक्रम में कहा कि उपराष्ट्रपति या राज्यपाल बनने के बाद हमारी गांड़ियों के कांच नीचे नहीं होते हैं, क्योंकि यह हमारी मजबूरी है। सुरक्षा के चलते हमें ऐसी गाड़ियों में चलना होता है। आप यह मत समझना हम आपसे दूर हैं। उन्होंने कहा कि गांव गांव में हर व्यक्ति और परिवार को सरकारी योजनाओं का फायदा लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किठाना के हर व्यक्ति को मैंने एक ही नजर से देखा है, चाहे वह कैसी ही राजनीति करता है। धनखड़ ने कहा कि इस गांव को आदर्श गांव बनाना मेरी परिकल्पना है। उन्होंने कहा कि गांव के बच्चे-बच्चियों को पहले थोड़ा संकोच होता है लेकिन वो मेहनत कर दुनिया अपनी मुट्ठी में कर लेते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते हुए धनखड़ ने कहा कि उनकी पृष्ठभूमि देखकर लगता है कि हालात अब बेहतर होते जा रहे हैं। धनखड़ ने सभी लोगों से अपील करते हुए कहा कि लड़के-लड़की में फर्क मत करो और उन्हें जो करना है करने दो। उपराष्ट्रपति ने केंद्र की उज्ज्वला योजना की तारीफ की और पश्चिम बंगाल का उदाहरण दिया। ग्रामीणों ने कहा कि धनखड़ का आना इनके लिए किसी त्योहार से कम नहीं है। बचपन में जो लोग उनके साथ खेले थे। वे उन्हें उपराष्ट्रपति बनने के बाद देखने के लिए उत्सुक हैं। सभी ने ढोल मजीरों और डीजे सहित अपने-अपने तरीकों से धनखड़ का स्वागत किया।