देहरादून: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जनजाति समाज के विकास के प्रति सरकार प्रतिबद्ध है। सरकार जनजाति समाज की कला,संस्कृति संरक्षण के लिए कारपस फण्ड की स्थापना करेगी। राज्य में प्रतिवर्ष जनजाति गौरव दिवस का आयोजन किया जाएगा।
मंगलवार को राज्य जनजाति शोध संस्थान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित आदि गौरव महोत्सव के मौके पर यह घोषणा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने जनजातीय गौरव दिवस की शुभकामना देते हुए कहा कि आजादी के अमृतकाल में भगवान बिरसा मुण्डा के आशीर्वाद से हमारा देश अपने अमृत संकल्पों को पूर्ण करने में अवश्य सफल होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय समाज हमारे बटवृक्ष रूपी देश की मजबूत जड़ के समान है। जनजातीय समाज का मजबूत और आत्म निर्भर बनना हमारे देश और प्रदेश की उन्नति के लिए आवश्यक है। देश के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज का उल्लेखनीय योगदान के कारण ही पिछले वर्ष आदरणीय प्रधानमंत्री ने प्रत्येक वर्ष की 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी। इससे जहां एक ओर जनजातीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है, वहीं गैर जनजातीय समुदाय को भी जनजातीय समाज की कला एवं संस्कृति की विशेषताओं से अवगत होते हैं। उन्होंने कहा कि सीमान्त क्षेत्रों में जनजाति छात्रों की बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए आवासीय विद्यालयों की स्थापना पर विचार किया जाएगा। जनजाति कल्याण समिति को भवन के लिए भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले की सरकारों में आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी थी। परंतु 2014 के बाद से देश में चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या चिकित्सा का क्षेत्र हो आदिवासी समाज के हितों का ध्यान रखकर ही देश और प्रदेश की सरकारें अपनी समस्त योजनाएं बना रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप आज उत्तराखंड के सुदूर सीमांत क्षेत्रों को भी विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 अक्टूबर को देश के जनजाति बाहुल्य प्रथम गांव माणा में राज्य के उत्पादों की सराहना करते हुए देशवासियों से अपील की कि वे अपनी यात्रा में जितना व्यय करते हैं, उसका कम से कम 5 प्रतिशत स्थानीय उत्पादों को क्रय करने पर व्यय करें। इसका निश्चित रूप से लाभ हमारे प्रदेश को मिलेगा तथा वोकल फॉर लोकर की अवधारणा को मजबूती मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि माणा में उनके ओर से राज्य के सीमांत गांव माणा को अंतिम के स्थान पर प्रथम गांव संबोधित करने पर प्रधानमंत्री ने अपनी सहमति जताते हुए देश के सभी सीमांत गांवों को अंतिम के बजाय प्रथम गांव कहा गया है। यह देश के सभी सीमांत क्षेत्रों के निवासियों के लिये भी सम्मान की बात है।
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास,मेयर सुनील उनियाल गामा,विधायक विनोद चमोली, निदेशक जनजाति कल्याण संजय टोलिया,मूरत राम शर्मा,रामकृष्ण रावत, पूर्व मुख्य सचिव एन.एस.नपलच्याल सहित बड़ी संख्या में जनजाति समाज के लोग एवं लोक कला एवं लोक संस्कृति से जुड़े कलाकार आदि उपस्थित थे।