नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को राज्यों से आंतरिक सुरक्षा और पुलिसिंग के विषय पर अधिक सजग और समयानुकूल कार्यपद्धति अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए एकजुटता के साथ निरंतर प्रयास करना होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के गृह मंत्रियों के दो दिवसीय चिंतन शिविर को संबोधित किया। यह चिंतन शिविर गुरुवार को हरियाणा के सूरजकुंड में शुरू हुआ था। शिविर में विभिन्न राज्यों के गृह सचिव एवं पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) व केन्द्रीय पुलिस संगठनों (सीपीओ) के महानिदेशक हिस्सा ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पुलिस सुधार, आंतरिक सुरक्षा और आधुनिक चुनौतियां के विषय पर अपने विचार और सुझाव साझा किए। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश विरोधी ताकतें सक्रिय हैं और हर प्रकार का हथकंडा अपना रही हैं। ऐसे में सामान्य नागरिक को सुरक्षा देने के लिए हमें नकारात्मक शक्तियों के खिलाफ कठोर बर्ताव की नीति पर कड़ाई से चलना होगा। इस संदर्भ में उन्होंने शहरी नक्सलियों से सावधान रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि बंदूक के साथ साथ हमें कलम वाले नक्सलियों से भी सावधान रहना होगा। यह लोग कानून और संविधान सम्मत बातें करते हैं लेकिन इनकी प्रवृत्ति देश और समाज को बांटने की है। ऐसे लोगों से समझदारी से निपटने हुए हमें ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ करना होगा।
उन्होंने कहा कि आज वैश्विक स्तर पर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। उतनी ही तेजी से हमारी चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। विश्व की बहुत सारी ताकतें नहीं चाहती कि देश सामर्थ्यवान बने। आंतरिक सुरक्षा के विषय पर प्रधानमंत्री ने राज्यों से विशेष आग्रह किया कि आज के समय में फेक न्यूज पर ध्यान केंद्रित करना बेहद जरूरी है। तकनीक के इस दौर में लोगों को जागरूक करना होगा कि वह कैसे किसी संदेश को सत्यापित कर सकें। उन्होंने कहा कि एक छोटी सी फेक न्यूज पूरे देश में बवाल खड़ा कर देती है। लोगों को शिक्षित करना पड़ेगा कि किसी भी चीज को आगे फॉरवर्ड करते हुए पहले उसे सत्यापित करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून व्यवस्था का विश्वसनीय होना बेहद जरूरी है। जनता में क्या धारणा है यह बहुत महत्वपूर्ण है। आज राष्ट्रीय और राज्यों के आपदा मोचन बल के लिए देशवासियों में एक सम्मान का भाव है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के पहुंचने पर लोगों में संतोष आता है। ऐसे ही अपराध के स्थल पर पुलिस के पहुंचने पर लोगों में यह भाव आना चाहिए कि सरकार पहुंच गई है। कोरोना काल में पुलिस ने अपनी साख बहुत बेहतर की है।
उन्होंने कहा कि संविधान में भले ही कानून-व्यवस्था राज्यों का दायित्व है लेकिन यह देश की एकता-अखंडता के साथ जुड़े हुए हैं। राज्यों को चाहिए कि वह एक-दूसरे से सीखें और प्रेरणा लें तथा देश की बेहतरी के लिए काम करें। यह संविधान की भी भावना है और देशवासियों के प्रति हमारा दायित्व भी है। सहयोग पर विशेष बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों और राज्यों की पुलिस को कई बार एक साथ जांच करनी पड़ती है। उन्हें दूसरे देशों में भी जाना पड़ता है। ऐसे में राज्य का दायित्व है कि राज्य की एजेंसी हो चाहे केंद्र की एजेंसी हो, सभी एजेंसियों को एक-दूसरे का सहयोग मिले।
राज्यों को सुझाव देते हुए प्रधानमंत्री ने एक राष्ट्र एक पुलिस का विचार राज्यों के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पोस्ट ऑफिस का लाल बॉक्स डाक से जुड़ी एक पहचान बन गई है उसी प्रकार हमें भी पुलिस को एक पहचान देनी होगी। उन्होंने पुलिस बल में विभिन्न प्रकार के आयामों के जुड़ने पर भी कहा कि भविष्य में हमें पर्यटन की दृष्टि से भी पुलिस बल को ट्रेन करने की आवश्यकता होगी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की स्क्रैप नीति का भी विशेष उल्लेख किया और कहा कि राज्य पुलिस की कार्य दक्षता बढ़ाने के लिए पुराने वाहनों को हटाकर नए वाहन लाने चाहिए। यह पर्यावरण के लिए भी और अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी होंगे।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान स्मार्ट टेक्नोलॉजी पर जोर दिया और कहा कि कानून व्यवस्था को स्मार्ट बनाना बेहद जरूरी है। साइबर क्राइम या फिर ड्रोन टेक्नोलॉजी का हथियारों की तरह इस्तेमाल हो इससे निपटने के लिए हमें नई तकनीक और काम करते रहना होगा।
गृह मंत्रियों का यह चिंतन शिविर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण में घोषित पंच प्रण के अनुरूप आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नीति निर्माण को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करने का एक प्रयास है। सहकारी संघवाद की भावना के अनुरूप यह शिविर, केन्द्र और राज्य स्तर पर विभिन्न हितधारकों के बीच योजना एवं समन्वय के मामले में अधिक तालमेल सुनिश्चित करेगा। इस शिविर में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, साइबर अपराध प्रबंधन, आपराधिक न्याय प्रणाली में आईटी के बढ़ते उपयोग, भूमि सीमा प्रबंधन, तटीय सुरक्षा, महिला सुरक्षा, मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।
प्रधानमंत्री ने लाल किले में दिए गए अपने भाषण के दौरान लिए गए 5 संकल्पों को दोहराया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का निर्माण, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता तथा नागरिक कर्तव्य इन पांच प्रर्णों का महत्व हम सभी भलीभांति जानते हैं। यह विराट संकल्प हैं जिसको सिर्फ और सिर्फ सब के प्रयास से ही सिद्ध किया जा सकता है।