रुद्रप्रयाग: केदारनाथ विधानसभा सीट खाली होने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई हैं। भाजपा की विधायक शैलारानी रावत की मौत के कांग्रेस सक्रिय होती हुई दिख रही है। केदारनाथ में लगाए गए सोने और यात्रा के दौरान सरकार द्वारा बंद किए गए यात्री रजिस्ट्रेशन जैसे मुद्दों को आगामी समय में होने वाले उप चुनावों में भुनाना चाहती है। केदारनाथ विधानसभा के पूर्व विधायक मनोज रावत ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए प्रदेश सरकार और मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय पर कई आरोप लगाए हैं।
रुद्रप्रयाग स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम में आयोजित पूर्व विधायक मनोज रावत ने कहा की उत्तराखण्ड सरकार ने जिस यात्री रजिस्ट्रेशन के नाम पर चारधाम यात्रा और केदारनाथ की यात्रा को बर्बाद किया, यह एक बहुत बड़ा घोटाला है। स्थानीय लोगों के भारीे विरोध के बाद भी सरकार और पर्यटन विभाग ने गुजरात की एक कम्पनी को अनावश्यक लाभ पहुंचाने के लिए अभी तक भी यात्रा रजिस्ट्रेशन व्यवस्था को बंद नहीं किया है। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद् ने 30 जनवरी 2021 को यात्री सुरक्षा मैनेजमेंट सिस्टम को स्थापित करने के लिए एक विज्ञापन जारी किया था।
यात्रियों का रजिस्ट्रेशन इस मैनेजमेंट सिस्टम का एक छोटा हिस्सा था। इस कार्य को गुजरात के बड़ोदरा स्थित ईथिक्स इनफोटेक एलएलपी कम्पनी को दिया गया। टेंडर के स्कोप आफ वर्कस के अनुसार कंपनी को यात्रियों के रजिस्ट्रेशन के अलावा यात्रियों के सारे रुट पर ट्रैकिंग उनकी सुरक्षा और भीड़ का मैनेजमेंट आदि अनेक कार्य करने थे। कम्पनी को सरकार के विभागों जैसे जिला प्रशासन और पुलिस विभाग से भी सूचनाओं का आदान-प्रदान करना था। अगर कम्पनी ये सब कार्य पूरा करती तो पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस विभाग पलक झपकते ही अपने कम्पयूटर से ये पता लगा सकता था कि उस समय कितने यात्री कहां पर हैं और उनकी व्यवस्था कैसे की जाए। यह भी पता लगाया जा सकता था कि यात्री कहां पर फंसा है अथवा यात्री खतरे या किसी परेशानी से तो नहीं जूझ रहा है? कम्पनी को इस काम के लिए हर साल करोड़ों रुपए का भुगतान हो रहा है, मगर कंपनी यात्रियों के रजिस्ट्रेशन के अलावा कुछ नहीं कर रही है। क्योंकि कंपनी गुजरात की ताकतवर लाबी की खास है। इसलिए अधिकारी उस पर कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं।
सोने के मामले में पूर्व विधायक मनोज रावत ने कहा कि केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृृह में सोना लगाना एक बड़ा घोटाला है। यह तब तक नहीं खुल सकता, जब तक इसकी जांच सीबीआई और ईडी न करे। सरकार की ओर से मंत्री सतपाल महाराज ने जांच संबंधी एक बयान दिया था, लेकिन आज तक कोई जांच नहीं हुई है। उन्होंने कहा की यदि मंदिर में सोने के नाम पर घोटाला नहीं हुआ है तो मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय को खुली चुनौती है कि अगर वो आरोपों को गलत साबित करते हैं तो सार्वजनिक जीवन से सन्यास ले लेंगे।
उन्होंने कहा कि सोने के मामले में मंदिर समिति ने जो दस्तावेज जारी किए हैं, वे मंदिर समिति के काले कारनामों को खुद ही बयां कर रहे हैं। कहा कि मंदिर समिति ये कहकर अपने हाथ नहीं झाड़ सकती है कि सोने को लाने और लगाने का काम कंपनी ने किया है। नियमों के अनुसार मंदिर समिति की हर स्तर पर जिम्मेदारी बनती थी, जो निहित स्वार्थों के कारण मंदिर समिति ने नहीं निभायी। भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी सरकार करोड़ों रुपए के इस घोटाले की लीपापोती कर दोषियों को बचाते हुए स्वयं को बिना जांच के पाक साफ घोषित करना चाहती है।
पत्रकार वार्ता में पूर्व जिलाध्यक्ष ईश्वर सिंह बिष्ट, जिला पंचायत सदस्य नरेन्द्र बिष्ट, कुलदीप कंडारी, गणेश तिवारी, रवि सिंधवाल, वीरेन्द्र बुटोला, पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख अर्जुन सिंह गहरवार आदि मौजूद थे।