धर्म-आस्थाः सनातन धर्म में हफ्ते का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की साधना आराधना को समर्पित किया गया हैं वही रविवार का दिन भगवान श्री सूर्यदेव की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है इस दिन सूर्य साधना करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती साथ ही कष्टों का भी अंत हो जाता है। ऐसे में अधिकतर भक्त आज के दिन व्रत पूजा करते हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर हर रविवार के दिन श्री सूर्य देव का ध्यान करते हुए सूर्य अष्टकम् का संपूर्ण पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो रोजगार पाने की इच्छा पूरी हो जाती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान सूर्य का ये चमत्कारी पाठ।
श्री सूर्य अष्टकम आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोSस्तु ते ॥1॥
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥2॥
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥3॥
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥4॥
बृंहितं तेज:पु़ञ्जं च वायुमाकाशमेव च।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥5॥
बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम्।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥6॥
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज:प्रदीपनम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥7॥
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥8॥
इति श्रीशिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम्।
सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम्।
अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत्॥
अमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्दिने।
सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता॥
स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने।
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति॥