नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को पहली से पांचवीं कक्षा के छात्रों के लिए रामकृष्ण मिशन के ‘जागृति’ कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 स्वामी विवेकानंद के दर्शन से प्रेरित है।
इस अवसर पर प्रधान ने कहा कि स्वामी विवेकानंद से लेकर श्री अरबिंदो और महात्मा गांधी तक हमारे अनेक महान लोगों ने एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की कल्पना की थी जो देश को आगे ले जाने के लिए प्रगतिशील और हमारे सभ्यतागत मूल्यों में निहित हो। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन शिक्षा के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है। मूल्य और ज्ञान भौतिक धन से अधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए तैयार और सामाजिक रूप से जागरूक पीढ़ी के निर्माण के लिए मूल्य आधारित शिक्षा महत्वपूर्ण है।
उन्होंने आगे कहा कि रामकृष्ण मिशन के पास व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करने की विरासत है। ऐसे समय में जब हम एनईपी 2020 को लागू कर रहे हैं, उसे कक्षा एक से आठवीं के लिए कार्यक्रम बनाने के अलावा 9वीं से 12वीं के लिए ऐसे मूल्य-आधारित शैक्षिक कार्यक्रम बनाने पर भी जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अनूठी पहल एनईपी 2020 के दर्शन के अनुरूप एक बच्चे के समग्र व्यक्तित्व विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है।
प्रधान ने जोर देकर कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होना चाहिए। हमें 21वीं सदी के ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो वैश्विक जिम्मेदारियां निभाने में सक्षम हों। उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए शिक्षक के नेतृत्व वाली समग्र शिक्षा प्रणाली पर ध्यान देने के साथ एनईपी 2020 उस दिशा में एक कदम है।
मंत्री ने सीबीएसई से जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार और राष्ट्रीय प्रगति और वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध प्रतिभा पूल बनाने के लिए बाल वाटिका से बारहवीं कक्षा तक सभी स्कूलों में मूल्य-आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए एक सलाहकार ढांचा स्थापित करने का आह्वान किया।
इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन, दिल्ली के सचिव स्वामी शांतातमनदा, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की अध्यक्ष निधि छिब्बर और केवीएस, एनवीएस और मंत्रालय के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।