हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, डॉक्टर के खिलाफ जांच के आदेश खारिज

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक सरकारी महिला डॉक्टर को उसकी अस्वस्थ बेटी की देखाभाल के लिए छुट्टी न देकर, उल्टा इस्तीफा देने पर उसी के खिलाफ विभागीय जांच किए जाने पर, राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई है।

न्यायालय ने कहा है कि सभी प्रयासों के बावजूद, आज भी एक कामकाजी महिला को कितना परेशान किया जा सकता है, वह इस मामले में परिलक्षित हो रहा है। न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ महिला डॉक्टर के विरुद्ध विभागीय जांच के आदेश को खारिज कर दिया। न्यायालय ने इस्तीफे की तिथि से याची को कार्यमुक्त मानते हुए, उसके सेवा से सम्बंधित लाभ दो माह में देने के आदेश दिए हैं।

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने डॉ. प्रियंका गर्ग की याचिका पर पारित किया। याची की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा की दलील थी कि याची की बेटी ब्रॉन्कियल अस्थमा से पीड़ित है। कहा कि याची सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में तैनात थी, उसने अपनी बेटी की देखभाल के लिए अवकाश सम्बंधी प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन न तो उसकी छुट्टी मंजूर हुई और न ही उसे जुलाई 2019 से सितम्बर 2019 व जनवरी 2020 से फरवरी 2020 का वेतन मिला।

कहा गया कि 24 फरवरी 2020 को याची ने सेवा से त्याग पत्र दे दिया, लेकिन उसके त्याग पत्र पर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया, बल्कि 25 सितम्बर 2020 को उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई व 26 सितम्बर 2020 को उसका इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया।

न्यायालय ने फटकार लगाते हुए कहा कि विभाग को इस्तीफा मंजूर करना चाहिए था और विभागीय जांच की कोई आवश्यकता नहीं थी।