उत्तराखंड में राज्य सरकार भू-अधिग्रहण पॉलिसी में बड़े बदलाव की तैयारी में है। महाराष्ट्र और यूपी की पॉलिसी को ध्यान में रखकर उत्तराखंड के लिए नई पॉलिसी का खाका तैयार किया जा रहा है। इसके तहत अधिग्रहण की लंबी प्रक्रिया की बजाय लोगों से सीधे जमीन खरीदी जाएगी।
उत्तराखंड में विकास योजनाओं को लेकर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी बेहद लंबी और जटिल है। इसके कारण कई बार योजनाएं प्रभावित होती हैं। सरकारी अधिग्रहण की प्रक्रिया का अक्सर ही लोगों के स्तर पर जोरदार विरोध भी किया जाता रहा है। पूर्व में लोगों के विरोध के कारण ही ग्रेटर देहरादून की योजना भी ठप हो चुकी है। इसके चलते राज्य में भविष्य में होने वाले ढांचागत विकास योजनाओं में तेजी लाने को अब नई भू-अधिग्रहण पॉलिसी पर विचार किया जा रहा है।
राजस्व विभाग के अफसर महाराष्ट्र और यूपी की भू-अधिग्रहण पॉलिसी का अध्ययन करने में जुटे हैं। दोनों राज्यों की भू-अधिग्रहण नीति के ऐसे बिंदू, जिन्हें उत्तराखंड में आसानी से लागू किया जा सकता है, उन पर विचार किया जा रहा है। उनके कानूनी पहलुओं की भी पड़ताल की जा रही है। इस नई पॉलिसी को लेकर शासन में वित्त और न्याय विभाग के अधिकारियों से भी विचार-विमर्श किया जा रहा है ताकि सभी पहलुओं को खंगाल कर नई भू अधिग्रहण पॉलिसी को अंतिम रूप दिया जा सके।
सीधे लोगों से बात कर तय होगी बात नई भू-अधिग्रहण पॉलिसी में लोगों से सीधे बात की जाएगी। उन्हें उनकी भूमि का उचित मुआवजा दिया जाएगा। केंद्र सरकार की नई भू-अधिग्रहण पॉलिसी के तहत चार गुना अधिक मुआवजे के अलावा भी रेट पर विचार-विमर्श का प्रावधान होगा। दोनों पक्षों में एक राय बनने के बाद सीधे भूमि के हस्तान्तरण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा। ताकि बीच का समय बच सके।