देहरादून: आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना व अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में निशुल्क उपचार कराने वाले लाभार्थियों को उनके उपचार पर हुए खर्च की जानकारी देने के साथ ही उनसे उपचार के संबंध में भी उनके अभिमत को भी। स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत के निर्देशों पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इस संदर्भ में सभी अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
बता दें कि राजधानी स्थित संस्कृति भवन के सभागार में आयुष्मान योजना की चतुर्थ वर्षगांठ पर आयोजित आरोग्य मंथन कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत ने आयुष्मान योजना को जन कल्याण में और अधिक कारगर व पारदर्शी बनाने की बात कहते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को इसके निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा है कि हर सूचीबद्ध अस्पताल में मरीजों को बेहतर से बेहतर उपचार मिलना चाहिए, यह हम सब की जिम्मेदारी है। उपचार कराने वाले मरीज को पता होना चाहिए कि उसके उपचार पर कितना खर्च हुआ। साथ ही यह बात भी सामने आनी चाहिए कि उपचार के दौरान उसे किसी तरह की परेशानियां तो नहीं उठानी पड़ी। और यदि उठानी पड़ी हैं तो क्यों, इस बात भी सामने आनी चाहिए।
किसी भी निजी सूचीबद्ध अस्पताल में उपचार कराने वाले मरीज के उपचार खर्च बिलों पर उसके हस्ताक्षर कराने जरूरी होंगे। साथ ही उसे अस्पताल में किस तरह की सेवाएं मिली, और योजना के बारे उसकी राय भी ली जाएगी। जिसे अस्पताल भुगतान संबंधी दस्तावेजों के साथ प्राधिकरण को प्रस्तुत करेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशों पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने प्रदेश के सभी सूत्रीबद्ध अस्पतालों के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। नए निर्देशों पर उपचार के उपरांत इस बात का प्रमाण पत्र देंगे कि उसका उपचार निशुल्क किया गया है। चिकित्सक को लेकर जांच, दवा, सर्जरी का कोई धनराशि नहीं ली गई। इसके साथ ही उसे यह भी बताया जाएगा कि पांच लाख प्रतिवर्ष प्रतिवार के अंतर्गत उसके आयुष्मान कार्ड में अब कितनी राशि शेष है।
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स्पताल को भी एक प्रपत्र भरना होगा, जिसमें सभी प्रकार के दस्तावेज होंगे। यदि अस्पताल की ओर से कोई धनराशि ली जाती है तो उसकी रशीद व कारण भी बताना होगा।