हिन्दी के शोधार्थियों को मिले सम्मान – डॉ. रमेश चन्द्र

लखनऊ: हजरतगंज में हिन्दी भवन के यशपाल सभागार में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में बुधवार को आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में विद्वत डॉ. रमेश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दी में शोध को भी महत्व मिले। हिन्दी में शोध कार्य करने वालों को भी सम्मान मिले। इनका भी चयन हो, विद्वतजनों में इन्हें शामिल होने का मौका मिले।

डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि हमारे भविष्य की हिन्दी क्या होगी। यह जानना जरूरी है कि भविष्य में सूचना प्रौद्योगिकी की हिन्दी होगी। विश्व की पांच भाषाओं में एक भाषा हिन्दी होगी। जैसे सड़क के सम्बन्ध में कहा जाये तो कहते है कि चौड़ीकरण हो रहा है, ऐसे शब्दों का भविष्य में उपयोग बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि भविष्य में हिन्दी के बड़े-बड़े वाक्यों को छोटे में कहा जाएगा। कम शब्दों में अपनी बात कही जाएगी। यह होगा भविष्य की हिन्दी। बाबा रामदेव ने इसकी शुरुआत कर दी है। बाबा रामदेव की दवाओं का नाम भी अब हिन्दी के शब्दों में आ गया है।

इस अवसर पर हिन्दी के विभिन्न विद्वानों ने अपनी बातों को रखा। हिन्दी संस्थान में कार्यरत डॉ. अमिता दुबे ने कार्यक्रम का संचालन किया और संस्थान के निदेशक व आईएएस पवन कुमार ने समारोह की अध्यक्षता की।