नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मानहानि के एक मामले में सूरत की अदालत द्वारा दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद विपक्षी दलों ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर प्रहार किया और विरोध की आवाज को दबाने का आरोप लगाया। दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि अगर राहुल गांधी लोगों को ‘‘गाली’’ देते हैं, तो कानून अपना काम करेगा।
कांग्रेस ने कहा है कि फैसला कानूनी रूप से गलत है और वह इसे चुनौती देगी। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार का प्रयास है कि किसी तरह से राहुल गांधी को संसद से बाहर किया जाए, क्योंकि वह सच बोल रहे हैं और अडाणी समूह के मामले पर उसे घेर रहे हैं। खरगे ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘पहले न्यायाधीशों को बदला गया…। हमें पहले से अंदाजा लग रहा था, लेकिन हम कानून और न्यायपालिका में विश्वास रखने वाले हैं और कानून के तहत लड़ेंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि इस मामले में समय मिलना चाहिए और उम्मीद है कि ऊपरी अदालत में इस फैसले पर रोक लग जाएगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, ‘‘राहुल गांधी ने जब बोला था, तब यह राजनीतिक आरोप था या एक प्रकार से राजनीतिक टिप्पणी थी। उसे लेकर इस प्रकार इसे अदालत में भेजा गया। मुझे न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में सही फैसला होगा और इन्होंने जो संदेश देने की कोशिश की है, उसमें ये कामयाब नहीं होंगे।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘यह ‘न्यू इंडिया’ है, (आप) अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगे तो ईडी, सीबीआई, पुलिस की प्राथमिकियों से लाद दिए जाएंगे। राहुल गांधी जी को भी सच बोलने और तानाशाह के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने की सजा मिल रही है। देश का कानून राहुल गांधी जी को अपील का अवसर देता है, वह इस अधिकार का इस्तेमाल करेंगे। हम डरने वाले नहीं हैं।’’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि राहुल गांधी की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन वह सच बोलते रहेंगे। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘डरी हुई सत्ता की पूरी मशीनरी साम, दाम, दंड, भेद लगाकर राहुल गांधी की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। मेरे भाई न कभी डरे हैं, न कभी डरेंगे। सच बोलते हुए जिए हैं, सच बोलते रहेंगे। देश के लोगों की आवाज़ उठाते रहेंगे। सच्चाई की ताकत और करोड़ों देशवासियों का प्यार उनके साथ है।’’
भाजपा नेता और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहुल गांधी को मानहानिकारक टिप्पणी करने के खिलाफ आगाह किया और कहा कि अगर वह ऐसा करने से बाज नहीं आते हैं, तो कांग्रेस नेता खुद को ‘‘और अधिक परेशानियों’’ का सामना करते पाएंगे। उन्होंने अदालत के आदेश पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर भी निशाना साधा।
खरगे ने दावा किया था कि मामले की सुनवाई कर रहे कई न्यायाधीशों को बदल दिया गया था। भाजपा नेता ने उन्हें जिम्मेदारीपूर्ण बयान देने की नसीहत देते हुए कहा, ‘‘खरगे एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हैं और यह कहकर वह क्या दर्शाना चाहते हैं कि न्यायाधीशों को बार-बार बदला गया।’’ केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि राहुल गांधी की टिप्पणियों से कांग्रेस को ही नुकसान हुआ है और उसके नेता चिंतित हैं कि पार्टी का बंटाधार हो रहा है। राहुल गांधी को कई विपक्षी दलों का समर्थन मिला। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनके प्रति समर्थन जताते हुए कहा कि एक लोकसभा सदस्य को इस तरह मानहानि के मुकदमे में फंसाना ठीक नहीं है और वह अदालत के निर्णय से असहमत हैं।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भारतीय जनता पार्टी में विरोधी दलों और उनके नेताओं पर मुकदमे करके उन्हें फंसाने की साजिश हो रही है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बृहस्पतिवार को कहा कि गैर-भाजपा सरकारों और नेताओं को षड्यंत्र का शिकार बनाया जा रहा है। सोरेन ने ट्वीट किया, ‘‘न्यायिक व्यवस्था पर पूरा विश्वास रखते हुए भी मानहानि मामले में राहुल गांधी जी को सजा दिए जाने के निर्णय से असहमत हूं।” उधर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना गुट ने राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने का बृहस्पतिवार को स्वागत किया।
पार्टी ने कहा कि वीर दामोदर सावरकर जैसी राष्ट्रीय हस्तियों का ‘अपमान’ करने और विदेश में देश की ‘छवि खराब’ करने के लिए भी राहुल गांधी के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि सूरत की एक अदालत ने ‘‘मोदी उपनाम’’ संबंधी टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें बृहस्पतिवार को दो साल कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने राहुल गांधी को जमानत भी दे दी और उनकी सजा पर 30 दिन की रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता उसके फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें। फैसला सुनाए जाते समय राहुल गांधी अदालत में मौजूद थे। वह बृहस्पतिवार सुबह सूरत पहुंचे थे।