देहरादून: सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के केदारनाथ प्रवास के बाद परिसर में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है। केदारनाथ में एक दिन में 30 हजार से 40 हजार तीर्थयात्री अपना रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। इतने ज्यादा रजिस्ट्रेशन हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। प्रधानमंत्री ने यात्रा के संबंध में सोचते हुए गौरीकुंड़ से केदारनाथ तक के लिए रोपवे का शिलान्यास कर दिया है। रोपवे का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद केदारनाथ की यात्रा सुगम हो जाएगी। हमारी सरकार का यह संकल्प है कि आने वाले समय में जितने भी तीर्थयात्री उत्तराखंड बाबा केदार के दर्शन के लिए आ रहे हैं उन सभी को दर्शन का अवसर मिले। यदि हम सभी तीर्थयात्रियों को दर्शन करवा पाएंगे तो निश्चित रूप से हम भी अपने आपको सौभाग्यशाली मानेंगे। भविष्य में बाबा केदार की कृपा से सभी काम संपन्न होंगे और सभी भक्त बाबा केदार के दर्शन कर पाएंगे।
एक चैनल से बातचीत के दौरान सीएम ने कहा कि केदारनाथ तथा बद्रीनाथ की यात्रा एक धार्मिक यात्रा है। कई घंटों की पैदल यात्रा के बाद हम पहुंचते हैं, केदारनाथ धाम तक पहुंचना कठिन साधना है। कभी भी बर्फबारी हो जाती है। इसके अलावा चारों तरफ बर्फ ही बर्फ दिखाई देती है। बद्री और केदार समिति के फैसले पर टिप्पणी करते हुए धामी ने कहा कि इस विषय पर किसी को कंट्रोवर्सी नहीं करनी चाहिए। ये हमारे देव स्थान हैं और देव स्थानों पर निश्चित रूप से लोग अपने को शुद्ध करने आते हैं। भगवान की कृपा उनपर होती है जो आदिकाल से चले आ रहे यात्रा नियमों का पालन करते हैं। इसके अलावा तीर्थयात्रियों को यात्रा के प्रोटोकॉल की पालना करनी चाहिए।
दस साल पहले आई त्रासदी के बाद केदार पुरी में अब तक के विकास कार्यों का ब्यौरा देते हुए मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि 10 साल पहले बाबा केदार का प्रांगण पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। वो बहुत बड़ी त्रासदी थी। पूरे देश-दुनिया ने उस त्रासदी को देखा। इन 10 वर्षों में बाबा केदार की कृपा से मैं मुख्यमंत्री और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। बाबा केदार के अनन्य भक्त मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही यहां पर तेज गति से बाबा केदार के पुनर्निमाण का काम शुरू हुआ। पूरे परिसर में निर्माण कार्य चल रहा है। एक मास्टर प्लान के तहत यहां पर जितनी भी पुरानी इमारतें हैं, उन्हें भी हटाने का काम चल रहा है। इन दस सालों में ये भव्य केदार और दिव्य केदार बना है। प्रधानमंत्री मोदी के दिशा निर्देशन में यहां का काम तेजी से चल रहा है। काम को पूरा करने के लिए दिसंबर 2023 तक का लक्ष्य रखा गया है।
सीएम धामी ने आगे बताया कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं भी लगातार प्रत्येक माह इसकी समीक्षा करते हैं। मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि यहां काम करने में कठिनाईयां आती है लेकिन सबसे ज्यादा कठिनाई मास्टर प्लान तैयार करने तथा मैनपॉवर का है। यहां पर 6 महीने काम नहीं हो पाता है और पूरे देश के श्रमिक वर्ग यहां काम करने आते हैं। 6 महीने बर्फ जमी रहती है जिसके चलते श्रमिकों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आ जाती हैं। यहां माइनस डिग्री तापमान में काम होता है। मैटेरियल और मैनपावर, घोड़े खच्चरों से तथा बड़े हेलीकॉप्टर से लाया जाता है। वह भी बड़ा कठिन काम है। यहां पर शंकराचार्य जी की समाधि स्थापित की गई है, वह भी अपने आप में बहुत बड़ा काम था। समाधि को चिनूक हेलीकॉप्टर से यहां लाया गया। इसके अलावा इशानेश्वर मंदिर पूरी तरह से तैयार हो गया है। प्रधानमंत्री के आदेशानुसार मंदिर का निर्माण किया गया है। इसी तरह मंदाकिनी की प्रोटेक्शन वॉल है। आस्था पथ, सरस्वती घाट भी बन गए हैं। तीर्थ पुरोहितों के लिए आवास, चिकित्सालय तथा बीच का सेंट्रल विस्टा भी बन रहा है।
सीएम धामी ने बताया कि 16 जून को त्रासदी के दस साल पूरे हो गए हैं। त्रासदी के दौरान प्राण गंवाने वालों को सीएम धामी ने श्रद्धांजलि भी दी और बताया कि आस्था पथ भी बनाया जा रहा है। मंदाकिनी नदी के किनारे-किनारे सुरक्षा दीवार बनाई गई है। अक्टूबर 2022 में जब प्रधानमंत्री केदारनाथ आए थे तब उन्होंने पुरोहितों के लिए बनाए जा रहे आवास का उद्घाटन किया था।