पोर्ट मोरेस्बी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पापुआ न्यू गिनी के अपने समकक्ष जेम्स मारापे के साथ सोमवार को तमिल काव्य रचना ‘तिरुक्कुरल’ की टोक पिसिन भाषा में अनुवादित कृति का विमोचन किया जो इस दक्षिणपश्चिमी प्रशांत द्वीपीय राष्ट्र के लोगों को भारतीय विचारों और संस्कृति को जानने समझने का मौका देगी। टोक पिसिन पापुआ न्यू गिनी की आधिकारिक भाषा है। मोदी पापुआ न्यू गिनी की पहली यात्रा पर रविवार को यहां पहुंचे। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की इस देश की पहली यात्रा है।
उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत तथा 14 प्रशांत द्वीप देशों के बीच एक अहम शिखर सम्मेलन की मारापे के साथ सह-मेजबानी भी की। विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, भारतीय प्रवासी मातृभूमि के साथ संबंध बनाए रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने तमिल काव्य रचना ‘तिरुक्कुरल’ का पापुआ न्यू गिनी की टोक पिसिन भाषा में अनुवादित कृति का विमोचन किया।
उसने कहा कि शुभा शशिंद्रन और यहां के वेस्ट न्यू ब्रिटेन प्रांत के गवर्नर शशिंद्रन मुथुवेल द्वारा अनुवादित यह किताब भारतीय विचारों और संस्कृति को पापुआ न्यू गिनी के लोगों के करीब लाती है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, पापुआ न्यू गिनी में प्रधानमंत्री जेम्स मारापे और मुझे टोक पिसिन भाषा में तिरुक्कुरल का विमोचन करने का सम्मान मिला। तिरुक्कुरल एक उत्कृष्ट कृति है जो विभिन्न विषयों में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
तिरुक्कुरल प्रसिद्ध कवि तिरुवल्लूवर की कृति है जिसमें उन्होंने नीति, राजनीति और आर्थिक मामलों पर तथा प्रेम पर दोहे लिखे हैं। मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, मैं तिरुक्कुरल का टोक पिसिन भाषा में अनुवाद करने के प्रयासों के लिए वेस्ट न्यू ब्रिटेन प्रांत के गवर्नर शशिंद्रन मुथुवेल और शुभा शशिंद्रन की सराहना करता हूं। गवर्नर शशिंद्रन ने अपनी स्कूली शिक्षा तमिल भाषा में की है जबकि शुभा शशिंद्रन जानी मानी भाषाविद हैं। प्रधानमंत्री मोदी अपनी मातृभाषा गुजराती में भी इस किताब की अनुवादित कृति का विमोचन कर चुके हैं।
उन्होंने कई मौकों पर तिरुक्कुरल की सराहना की है। अपने एक भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा था, तिरुक्कुरल न केवल एक उत्तम साहित्यिक रचना है बल्कि आम जीवन के लिए एक असाधारण मार्गदर्शक भी है। यह हमें धर्म का मार्ग दिखाती है और हमें निस्वार्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने यह भी कहा था कि तिरुक्कुरल आज भी प्रासंगिक है और यह मौजूदा पीढ़ी के लिए प्रेरणा के तौर पर काम कर सकती है। प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने भाषणों में तिरुक्कुलर का उल्लेख करते हैं और उन्होंने 2014 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भी इस किताब की एक प्रति भेंट की थी।