ऋषिकेश: बेटी को न्याय दिलाने की मांग को लेकर अंकिता भंडारी के माता-पिता ने मंगलवार को युवा न्याय संघर्ष समिति के ऋषिकेश में दिए जा रहे धरने के 41वें दिन पहुंचकर अपना समर्थन दिया।
सोमवार की देर रात तहसीलदार ऋषिकेश के साथ पुलिस प्रशासन ने आमरण अनशन पर बैठी शकुंतला रावत को जबरन उठाकर ले जाने पर तहसीलदार व पुलिस प्रशासन की निंदा की। शकुंतला रावत को रात 12 बजे प्रशासन द्वारा उठाये जाने पर उनके स्थान पर समिति की संयोजक मण्डल का सदस्या सरोजिनी थपलियाल आमरण अनशन पर बैठीं। क्रमिक अनशन में डिम्पल तोमर, लक्ष्मी कठैत बैठे।
अस्पताल से लौटने के बाद शकुंतला रावत ने बताया कि देर रात तहसीलदार और पुलिस ने उन्हें जबरन रात के अंधेरे में चोरों की तरह ले यहाँ से ले गये थे। दो किलोमीटर की दूरी पर एम्स अस्पताल को छोड़कर दून मेडिकल कॉलेज देहरादून भेजा गया। यह कहीं ना कहीं उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है, जिससे उनकी पीठ में भी चोट लगी है। धरने और अनशन के चलते हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद सोमवार की रात को अंकिता भंडारी के पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी अपनी पत्नी के साथ पहुंचे थे जिन्होंने मंगलवार की सुबह लगभग दो-तीन घंटे तक धरना दे रहे आंदोलनकारियों का हौसला बढ़ाया। उन्होंने भी सरकार से अपेक्षा व्यक्त की है कि उनकी बेटी को न्याय मिलना चाहिए। धरने पर दो-तीन घंटे रुकने के बाद दोनों अपने घर दोपहर में लौट गए।
मंगलवार को धरना देने वालों में उत्तराखंड क्रांति दल की कार्यकारी अध्यक्ष किरन रावत , शीला ध्यानी, राकेश, विक्रम भारद्वाज, रविंद्र प्रकाश भारद्वाज, जातिश बिजलवान, अरविन्द हटवाल, डिम्पल चौहान, सुरेन्द्र सिंह नेगी, हिमांशु रावत, हेमा रावत, जया डोभाल, प्रमिला जोशी, राजेंद्र सिंह रावत, देवी प्रसाद व्यास, संजय सिस्वाल आदि मौजूद रहे।