लखनऊ: गरीबी क्या न कराए साहब , “गरीबी और मजबूरी में तो साहब आंसू भी साथ छोड़ देते हैं।” कुछ ऐसा ही दर्द उस महिला की आंखों में दिखा जो अपने घायल पति को रिक्शा ट्राली पर लेकर अस्पताल पहुंची। लेकिन उसे क्या पता था की रिक्शा ट्राली के पहियों की धीमी रफ्तार के साथ-साथ उसके पति की सांसें भी धीमी पड़ती जा रही है। और हुआ भी कुछ ऐसा कि जब वह अपने चोटिल पति को लेकर अस्पताल पहुंची तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
घायल पति को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए महिला ने एंबुलेंस के लिए लाख जतन किए लेकिन जब एंबुलेंस न मिली तो उसने अपने पति की जान बचाने के लिए रिक्शा ट्राली का सहारा लिया। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उसके पति ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। सोचिए जब कोई अपना नजरों के सामने तड़प रहा हो और हम कुछ ना कर सकते हो तो ऐसी बेबसी में आखिर क्या गुजरती होगी।
सीतापुर के महमूदाबाद क्षेत्र के शंकरबक्शखेड़ा निवासी पिंटू( 50 वर्ष) मोहनलालगंज में किराये पर रहकर गांव गांव कबाड़ खरीदने का काम करता था,वो धर्मगंतखेड़ा गांव में छप्पर डालकर पत्नी अनीशा व दो बच्चो के साथ रहता था। धर्मांगतखेड़ा निवासी अमृता ने बताया कि चार दिन पूर्व पुलिया से गिरकर चाचा पिंटू घायल हो गे।
शनिवार को हालत बिगड़ने पर काफी देर तक फोन करने के बाद भी एम्बुलेंस नही आयी जिसके बाद गांव के सुनील की रिक्शा ट्राली से मजदूर को पत्नी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की इमरजेंसी में लेकर पहुंची,जहां डाक्टर ने मजदूर को मृत घोषित कर दिया। गरीबी का दंश झेल रहा परिवार मजदूर की मौत के बाद पैसे ना होने के चलते रिक्शा ट्राली से वापस शव को लेकर घर गया।सीएचसी अधीक्षक डॉ.अशोक कुमार ने बताया घायल मजदूर को एम्बुलेंस ना मिलने से मौत होने का मामला संज्ञान में आया है जांच, कराकर कार्रवाई की जायेगी।