मसूरी: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने देहरादून के जिलाधिकारी को मसूरी झील के पानी को व्यवसायिक उपयोग करने के लिए पूरी तरह से बंद करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश से मसूरी के होटल व्यवसायियों के सामने पेयजल की एक बड़ी मुसीबत सामने उभर कर आएगी। एनजीटी ने यह आदेश कार्तिक शर्मा बनाम उत्तराखंड सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को यह फैसला सुनाया है।
मसूरी झील, धोबी घाट, वॉटर स्प्रिंग के प्राकृतिक पानी का व्यवसायीकरण नहीं किया जा सकता
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अपने आदेश में कहा है कि मसूरी झील, धोबी घाट और वॉटर स्प्रिंग के प्राकृतिक पानी का व्यवसायीकरण नहीं किया जा सकता। मसूरी झील के प्राकृतिक बहाव बिगड़ने से जलीय जीवों को नुकसान पहुंच रहा है। इस पूरे मामले के बाद डीएम ने मसूरी के एसडीएम शैलेंद्र सिंह नेगी को होटलों में प्रयोग किए जाने वाले पानी सहित तमाम सप्लाई पर रोक लगाने के सख्त निर्देश दिए हैं। इसके बाद, एसडीएम ने शहर के अधिकारियों के साथ सभी होटल व्यवसायियों की 09 फरवरी को एक बैठक बुलाई है। बैठक में सभी को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की ओर से दिए गए निर्देशों के बारे में बताया जाएगा।
फैसले से होटल और टैंकर संचालकों के बीच हड़कंप मचा
इस फैसले से होटल और टैंकर संचालकों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। उनका कहना है कि मसूरी में पेयजल की भारी किल्लत है। अगर ऐसा हुआ तो लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, लोगों के व्यवसाय पर भी असर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि मसूरी में 14 एमएलडी पानी की आवश्यकता होती है। जबकि मसूरी गढ़वाल जल संस्थान के पास मात्र 7.50 एमएलडी पानी ही उपलब्ध है।