जानिए मकर संक्रांति पर पुण्‍य काल कब से कब तक, पूजा विधि और महत्व

मकर संक्रांति का त्यौहार इस साल 15 जनवरी 2023 को पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी। हर राज्य में इस मनाने का अलग-अलग तरीका है। मकर संक्रांति के मौके पर गुजरात में जहां लोग पतंगबाजी करते हैं वहीं यूपी-बिहार में दही-चूड़ा के साथ इस पर्व को मनाया जाता है। हालांकि, संक्रांति पर तिल से बने व्यंजन हर जगह बनाए जाते हैं। दरअसल, मकर संक्रांति में तिल का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग तिल का अलग-अलग तरह से इस्तेमाल करते हैं। 

बता दें कि हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष है। संक्रांति के दिन स्नान-दान करने से कई वर्षों की तपस्या के बराबर फल मिलता है। मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से गंगा नदी में स्नान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन दूर-दूर से लोग काशी और प्रयागराज स्नान के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा में डूबकी लगाने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और पुण्यफलों की प्राप्ति होती है।  

सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने पर खरमास की भी समाप्ति हो जाती है और सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं और ऐसे शुभ संयोग में मकर संक्रांति पर स्नान, दान, मंत्र जप और सूर्य उपासना से अन्य दिनों में किए गए दान धर्म से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए आपको बताते हैं मकर संक्रांति पर पुण्‍यकाल और महापुण्‍य कब से कब तक है और इस दौरान कौन-कौन से कार्य करना माना जाता है शुभ।

-सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 
14 जनवरी 2023 शनिवार को रात 8.51 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

-पुण्य काल‌ का समय
15 जनवरी 2023 रविवार, सुबह 7:17 से शाम 5:45 तक

-महापुण्य काल का समय
15 जनवरी 2023 रविवार, सुबह 7:17 से सुबह 9:00 बजे तक

-पुण्य-महापुण्य काल का महत्व
मकर संक्रांति पर पुण्य और महापुण्य काल का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। मकर संक्रांति के पुण्य और महापुण्य काल में गंगा स्नान, सूर्योपासना, दान, मंत्र जप करने व्यक्ति के जन्मों के पाप धुल जाते हैं।

गंगा स्नान
मकर सक्रांति वाले दिन सबसे पहले प्रातः किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, यदि यह संभव ना हो सके तो अपने घर पर नहाने के जल में थोड़ा गंगाजल डालकर स्नान करें।।

-सूर्योपासना
प्रातः स्नान के बाद उगते हुए सूर्य नारायण को तांबे के पात्र में जल, गुड़, लाल पुष्प, गुलाब की पत्तियां, कुमकुम, अक्षत और काले तिल मिलाकर जल अर्पित करना चाहिए।

-गायत्री मंत्र जप
सूर्य उपासना के बाद में कुछ देर आसन पर बैठकर गायत्री मंत्र के जप करने चाहिए, अपने इष्ट देवी- देवताओं की भी उपासना करें। ऐसी मान्‍यता है कि मकर संक्रांति पर गायत्री मंत्र का जप करने से आरोग्‍य की प्राप्ति होती है।

-गाय के लिए दान
पूजा उपासना से उठने के बाद गाय के लिए कुछ दान अवश्य निकालें जैसे- गुड़, चारा इत्यादि। इस दिन गाय को उड़द दाल की खिचड़ी खिलाने से आपको शनि की महादशा में राहत मिल सकती है।

पितरों को भी करें याद
इस दिन अपने पूर्वजों को प्रणाम करना ना भूलें, उनके निमित्त भी कुछ दान अवश्य निकालें। इस दिन पितरों को तर्पण करना भी शुभ होता है। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अपने पूर्वजों की प्रिय वस्‍तुओं का दान करने से आपको उनका आशीर्वाद प्राप्‍त होता है और उनकी आत्‍मा को शांति मिलती है।

गरीब व जरूरतमंदों के लिए दान
इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को जूते, चप्पल, अन्न, तिल, गुड़, चावल, मूंग, गेहूं, वस्त्र, कंबल, का दान करें। ऐसा करने से शनि और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। हमेशा ध्‍यान रखें कि दान करने के लिए सदैव नई वस्‍तुओं का प्रयोग करें। यानी के वे पूर्व में इस्‍तेमाल नहीं की गई हों।

मकर संक्रांति पूजा विधि 2023 
मकर संक्रांति के दिन प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अगर संभव हो तो संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी या गंगा जी में स्नान करने जाएं। या फिर घर पर ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर लें। इसके बाद तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल फूल और अक्षत डालकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दें। सूर्य के मंत्रों का जाप करें। सूर्य के मंत्रों का जाप 108 बार करें और आदित्य ह्रदय स्रोत का पाठ करके अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। मकर संक्रांति के दिन घर में खिचड़ी और तिल के लड्डू बनाएं और फिर इसे भगवान को भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद प्रसाद खुद ग्रहण करें और दूसरों को भी बांटें। मकर संक्रांति के मौके पर किसी जरूरतंद और गरीब को अन्न, तिल व कंबल का दान जरूर करें। 

मकर संक्रांति के दिन इन चीजों का करें दान
कंबल
तिल
सोना
ऊनी वस्त्र
चावल
अन्न
उड़द की दाल
गुड़-तिल