हरिद्वार: पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में गौमुख से ऊपर अति दुर्गम क्षेत्र में, अनामित व अनारोहित तीन शिखरों पर आरोहण कर पतंजलि ने एक और इतिहास रचा है। हरिद्वार वापस आने पर आचार्य बालकृष्ण तथा सहयोगी संस्था नेहरु पर्वतारोहण संस्थान के प्रिंसिपल कर्नल अमित बिष्ट व टीम का अभिनंदन किया गया। इस यात्रा के दौरान आचार्य जी व टीम ने अनेकों दुर्लभ जड़ी-बूटियों की खोज की।
इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि यह यात्रा अत्यंत दुर्गम और बहुत साहसपूर्ण थी। आचार्य जी व कर्नल अमित बिष्ट ने यह इतिहास रच सनातन परम्परा एवं ऋषि संस्कृति के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है। साथ ही दुर्लभ जड़ी-बूटियों की खोज कर उन्होंने स्वास्थ्य व मानव सेवा में क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हिमालय पर जड़ी-बूटियों की खोज के साथ-साथ हिमालय में हिमालय की खोज की तथा अनामित व अनारोहित तीन चोटियों (हिम शिखिर) की खोज कर उनका नामकरण करके लौटे हैं। राष्ट्रीय गौरव तथा महान ऋषि-मुनियों की तपस्थली के आभास से दल के मन मे यह भाव आया कि 6,000 मीटर से ऊपर, सबसे ऊंची चोटी को राष्ट्रवाद की परम्परा के आधार पर राष्ट्रऋषि, उसके बराबर में दूसरी चोटी का नाम योग परम्परा के आधार पर योगऋषि तथा उसके बाँये तीसरी चोटी का नाम आयुर्वेद परम्परा के आधार पर आयुर्वेद ऋषि रखा। उन्होंने कहा कि इस विजय यात्र के दौरान हमने लगभग 550 दुर्लभ जड़ी-बूटियों की पहचान कर उनकी चेक लिस्ट बना ली है। इन जड़ी-बूटियों पर गहन अनुसंधान का कार्य किया जाएगा।