शिमला: हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भीषण बारिश से मची तबाही का दंश झेल रहे राज्य के लिए केंद्र से 2,000 करोड़ रुपये की अंतरिम सहायता मांगी है। सुक्खू ने कहा कि राज्य में बाढ़ पीड़ितों को दिया जाने वाला मुआवजा बढ़ाने के लिए राहत नियमावली में बदलाव किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में पिछले हफ्ते भारी से बहुत भारी बारिश के कारण व्यापक पैमाने पर भूस्खलन हुआ और अचानक बाढ़ आई, सड़कें अवरुद्ध हो गईं तथा बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा।
सुक्खू ने शुक्रवार को कहा, ‘‘मैंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की है और उनसे 2,000 करोड़ रुपये की अंतरिम राहत देने का अनुरोध किया है।’’ उन्होंने बताया कि राज्य को 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और यह आंकड़ा बढ़ सकता है। सुक्खू ने घोषणा की थी कि प्रत्येक प्रभावित परिवार को एक लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए राहत नियमावली में बदलाव किया जाएगा। राहत नियमावली के अनुसार, अभी आपदा से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को 5,000 रुपये का मुआवजा दिया जाता है।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि परेशानी में फंसे लोगों की मदद के लिए एक आपदा राहत कोष बनाया गया है और उनकी सरकार में सभी मंत्रियों तथा कांग्रेस विधायकों ने पीड़ितों की मदद के लिए एक महीने का वेतन दान देने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा और हिमाचल प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के संघ तथा अन्य लोगों ने भी राहत कोष में एक दिन का वेतन दान देने का फैसला किया है। सुक्खू ने कहा, ‘‘हम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों से भी ऐसा करने का अनुरोध करेंगे।’’
उन्होंने आम जनता से भी राहत कोष में योगदान देने की अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने तीन सूत्री रणनीति-बचाव, निकासी और बहाली बनाई है। लाहौल और स्पीति में हिमपात से प्रभावित चंद्रताल में फंसे 250 पर्यटकों समेत करीब 67,000 पर्यटकों को बचाया गया है और अब ध्यान बुनियादी ढांचे की मरम्मत पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि कुछ पर्यटक कसोल और तीर्थन घाटी में फंसे हैं। वे सभी सुरक्षित हैं और उन्हें भोजन तथा अन्य आवश्यक सामान उपलब्ध कराया गया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र से मिले 180 करोड़ रुपये मानसून के दौरान राज्य को हर साल दी जाने वाली सहायता राशि है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अभी तक वित्तीय मदद नहीं मिली है। राज्य आपदा प्रतिक्रिया केंद्र के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में 26 जून को मानसून आने के बाद से 108 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 12 अन्य लापता हैं। राज्य में 667 मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं। वहीं, 1,264 मकानों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है। हिमाचल में पिछले 24 घंटे में 17 लोगों की जान गई है, जिसमें मंडी और शिमला जिलों में सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए छह लोग भी शामिल हैं।
कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक सतवंत अटवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बचाव अभियान जारी है और पुलिस दल उन अंदरुनी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं, जहां बाढ़ तथा भूस्खलन के कारण सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। अटवाल ने बताया कि कसोल, मणिकर्ण और आसपास के इलाकों में फंसे पर्यटकों ने अपने वाहनों के बिना निकलने से इनकार कर दिया है तथा स्थिति सामान्य होने तक वहीं रुकने का फैसला किया है।