पहाड़ को शौक हथियार का, हिमाचल में 100403 लाइसेंसी हथियार

शिमला: पहाड़ और हथियार के रिश्ते ने एक दशक में खूब विस्तार किया है। हिमाचल की जनता के पास बंदूक, पिस्टल व राइफल के तौर पर 100403 लाइसेंसी हथियार हैं। हिमाचल के पुलिस थानों में अब तक 8756 वैपन जमा किए गए हैं। हिमाचल में 100403 लाइसेंस वैपन है और इनमें 177 लोगों को वैपन रखने की छूट दी गई है। बाकी बचे 100226 लाइसेंस वैपन में से अब तक 8756 लाइसेंस वैपन पुलिस थानों में जमा किए गए हैं और अभी 91430 वैपन जमा किए जाने हैं। हिमाचल में 8.7 प्रतिशत लाइसेंस वैपन जमा किए गए हैं। गौर हो कि वर्ष 2022 में जिस समय हिमाचल में विधानसभा चुनाव हुए, तब राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर थानों में 97303 लाइसेंसी हथियारों में से 88405 हथियार जमा करवाए गए थे। यानी प्रदेश में 71 लोगों पर एक बंदूक या पिस्टल अथवा राइफल है। एक दशक पहले की बात करें तो हिमाचल की जनता के पास वर्ष 2014 में जितने लाइसेंसी हथियार थे, उस समय विधानसभा चुनाव के दौरान लाइसेंस धारकों ने उनमें से 36793 लाइसेंसी हथियार संबंधित जिला के थानों में जमा करवाए थे। यानी एक दशक से कुछ ही कम समय में हथियारों का आंकड़ा दोगुना बढ़ा है।

लाइसेंसी हथियार रखने के मामले में हिमाचल का नंबर देश में तीसरा है। राज्य निर्वाचन आयोग के पास पूरे प्रदेश के लाइसेंसी हथियारों की संख्या मौजूद होती है। कार्यकारी पुलिस महानिदेशक संजीव रंजन ओझा ने प्रदेश में आचार संहिता लागु होने के पश्चात 19 मार्च, 2024 चुनाव प्रक्रिया के दौरान प्रदेश में जारी लाइसेंस वैपन को जमा करवाने हेतु समस्त पुलिस अधीक्षकों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पुलिस विभाग की ओर से आम जनता से अनुरोध किया है कि अपने लाइसेंस वैपन को अपने नजदीकी पुलिस थाना में शीघ्र अति शीघ्र जमा करवाएं। हिमाचल की 90 फीसदी जनता ग्रामीण इलाकों में रहती है। ग्रामीण जनता खेती-बागबानी से जुड़ी है। हिमाचल में फसलों व फलों को बंदर तथा जंगली जानवर नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में बंदरों को डरा कर भगाने के लिए किसान बंदूक का इस्तेमाल करते हैं। बंदूकों में बारूद भरकर दागा जाता है। इससे बंदर व जंगली जानवर खेतों में आने से डरते हैं।

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व हमीरपुर के डीसी अमरजीत सिंह के अनुसार हिमाचल में मुख्य तौर पर हथियारों में बंदूकों का इस्तेमाल क्रॉप प्रोटेक्शन के लिए होता है। किसान क्रॉप प्रोटेक्शन के तहत बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं। प्रदेश में मौजूद हथियारों में एक बड़ा हिस्सा क्रॉप प्रोटेक्शन के लिए इस्तेमाल होता है।