मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह बेशक इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनकी गजलें आज भी उनके चाहनेवालों की जुबान और जेहन में हैं। 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के गंगानगर में जन्मे जगजीत सिंह का असली नाम जगजीवन सिंह था, जिसे बदलकर उन्होंने इसे जगजीत सिंह कर लिया था। उनकी पढ़ाई जालंधर से हुई थी। जगजीत सिंह ने 1961 में अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो में गाने से शुरू की थी। जगजीत सिंह ने संगीत की शुरुआती शिक्षा पंडित छगन लाल शर्मा और उस्ताद जमाल खान से ली थी।
जगजीत सिंह 1965 में अपने परिवार को बिना बताए मुंबई आ गए। यहां बहुत संघर्षों के बाद उन्हें हिंदी सिनेमा में गाने का मौका मिला। 1967 में जब जगजीत काम ढूंढ रहे थे तब उनकी मुलाकात चित्रा दत्ता से हुई। शादीशुदा चित्रा मुंबई में जहां रहती थीं उनके सामने वाले घर में जगजीत का आना जाना लगा रहता था। यहीं पर दोनों की मुलाकात हुई थी।
दिसंबर 1969 में चित्रा ने अपने पति को तलाक दे दिया और जगजीत से शादी कर ली थी। जगजीत सिंह और चित्रा सिंह एक साथ कॉन्सर्ट करते थे। चित्रा और जगजीत सिंह का एक बेटा विवेक हुआ। 20 साल की उम्र में विवेक की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी जिसके बाद जगजीत और चित्रा दोनों टूट गए थे। जगजीत सिंह ने अपने करियर में एक से एक हिट गीत और ग़ज़लें दी हैं। इनमें होठों से छू लो तुम, तुमको देखा तो ख्याल आया, कागज की कश्ती, कोई फरियाद,चिट्ठी ना कोई सन्देश जैसे एक से एक गीत शामिल हैं।
जगजीत सिंह को कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। साल 1998 में उन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड मिला। साल 2003 में जगजीत सिंह को भारत सरकार ने पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया। 10 अक्टूबर, 2011 को जगजीत सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया था, लेकिन आज भी उनकी आवाज़ और उनकी ग़ज़लें लोगों के जेहन में जिंदा हैं।