देहरादून: लोकसभा चुनाव को लेकर देश भर में चुनाव प्रचार पूरे चरम पर है। उत्तराखंड में भले ही चुनाव खत्म हो गया है, लेकिन उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी की भागदौड़ अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि और बढ़ गई है। वे देश और प्रदेश के हर मोर्चे पर डटे हुए हैं। लोकसभा चुनाव में दिल्ली, यूपी, बंगाल, तेलंगाना से लेकर तमाम दूसरे राज्यों में उनकी भारी मांग बनी हुई है। ऐसा पहली बार है, जब उत्तराखंड के किसी सीएम को लेकर देश भर की चुनावी रैलियों, रोड शो, सभाओं के लिए इतनी अधिक मांग है। सीएम धामी इस समय देश भर में भाजपा को 400 पार पहुंचाने के मिशन में तो लगे ही हैं, साथ ही राज्य के भीतर चार धाम यात्रा तैयारी और जंगलों की आग पर काबू पाने के अपने मिशन को भी फ्रंट से लीड कर रहे हैं।
अभी तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों का दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार में इतनी अधिक सक्रियता नहीं रहती थी। एक दो दिल्ली में सभाओं के साथ लखनऊ में सभा तक ही चुनाव प्रचार सीमित रहता था। 2004 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी रहे हों, या 2009 के लोकसभा चुनाव में बीसी खंडूडी, 2014 में सीएम हरीश रावत और 2019 में सीएम त्रिवेंद्र रावत का इतने बड़े पैमाने पर कभी भी केंद्रीय संगठन ने चुनावों में इस्तेमाल नहीं किया।
सीएम पुष्कर सिंह धामी के 2022 के विधानसभा चुनाव के करिश्माई नेतृत्व के जरिए भाजपा को दोबारा सत्ता दिला कर उन्होंने सरकार के रिपीट न होने के मिथक को तोड़ा। 2022 की विजय के बाद सीएम धामी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, बल्कि दो सालों के भीतर कॉमन सिविल कोड, सरकारी संपत्तियों पर जमे अवैध धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने, सख्त नकल विरोधी कानून, महिला आरक्षण बिल, आंदोलनकारी आरक्षण बिल, जबरन अवैध धर्मांतरण विरोधी बिल लाकर वे पीएम नरेंद्र मोदी की आंखों के तारे बन गए हैं। भाजपा केंद्रीय संगठन और आरएसएस ने सीएम धामी के भीतर भाजपा के भविष्य का नेतृत्व देखते हुए उनको 2024 के लोकसभा चुनाव की बड़ी जिम्मेदारी दे दी है।
सीएम धामी बंगाल में ममता दीदी की चूल्हें हिला रहे हैं। तो तेलंगाना में कांग्रेस और औवेसी के गढ़ में जाकर उनकी जमीन को हिलाने का काम कर रहे हैं। तेलंगाना में तो सीएम धामी को लेकर दिवानगी का आलम ये रहा कि बढ़ती डिमांड के कारण बार बार उनके दौरे तय करने पड़ रहे हैं। सीएम धामी की मांग यहीं तक नहीं सिमट रही, बल्कि यूपी में गाजीपुर, जौनपुर, लखनऊ, गाजियाबाद से लेकर दर्जनों सीटों पर चुनाव प्रचार में लगातार उनकी मांग बढ़ रही है। दिल्ली में तो हर लोकसभा प्रत्याशी सीएम धामी को अपने चुनावी क्षेत्र में प्रचार में लाना चाह रहा है। इतने व्यस्त चुनावी शिड्यूल के बावजूद सीएम उत्तराखंड राज्य को लेकर अपनी जिम्मेदारियों का भी बखूबी निर्वहन कर रहे हैं।
मसला चार धाम यात्रा तैयारियों का हो या गर्मियों में बिजली, पानी के इंतजाम का, सीएम लगातार हर चीज पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। व्यवस्थाओं की लगाातार समीक्षा कर रहे हैं। जंगलों की बेकाबू होती आग पर नियंत्रण को लेकर भी सीएम धामी के सख्त फैसलों के बाद हालात काबू में आए हैं। डेढ़ दर्जन से अधिक वन विभाग के कर्मचारियों, अधिकारियों के ऊपर गाज गिराने से भी परहेज नहीं किया गया। जिस दौर में वन मंत्री सुबोध उनियाल राज्य से बाहर रहे, विपक्ष वन मंत्री पर राज्य से बाहर होने का तंज कस कर सरकार की घेरेबंदी में जुटा, उन हालात में सीएम धामी ने आगे आकर नेतृत्व किया।