देहरादून: हिमालय दिवस पर परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विकास और आर्थिक दोनों ही जरूरी है। पर्यावरण संरक्षण के दायित्व को भी हमें महसूस करना है। हिमालय दिवस का अवसर बहुत महत्वपूर्ण है। देश और समाज के लिए आर्थिक और पर्यावरण दोनों जरूरी हैं। इन दोनों में संतुलन कायम करके ही हम हिमालय को बचा सकते हैं।
उत्तराखंड में हिमालयी राज्यों का बड़ा सम्मेलन किया जाए आयोजित
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री और नीति आयोग से यह आग्रह किया है कि उत्तराखंड में हिमालयी राज्यों का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जाए। जिसमें इन तमाम मुद्दों पर सामूहिक चर्चा हो। हिमालय और जलवायु नियंत्रण महत्वपूर्ण विषय है। हवा, मिट्टी, जंगल और पानी का उत्तराखंड में भंडार है। हिमालय का संरक्षण और राष्ट्र के लिए प्राकृतिक स्रोत को बचाना भी हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। हमें प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन रोकना है।
पूरे देश पर पड़ता है आपदाओं का प्रभाव
मुख्यमंत्री ने कहा कि इकोलाजी और इकोनामी दोनों को संतुलित रूप से लेना है। मौसम चक्र में लगातार बदलाव हो रहा है, वनस्पतियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। इकोसिस्टम में तेजी से बदलाव हो रहा है, प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं। हिमालय क्षेत्र में आने वाली आपदाओं का प्रभाव पूरे देश पर पड़ता है। हिमालय दिवस के अवसर पर हम सब को शुद्ध मन से यह मानना होगा कि हिमालय को बचाने के लिए हम सब कुछ करने के लिए तैयार रहेंगे।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है। यहां समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार हो रहा है। देश और प्रदेश में अब तक जितनी भी सरकारें रहीं इस ओर किसी ने भी कदम नहीं उठाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सानिध्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मिला है। निश्चित रूप से उत्तराखंड में इस सरकार के कार्यकाल में ऐतिहासिक कार्य हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यहां 75 हजार पौधों वाले रुद्राक्ष वन की स्थापना के साथ-साथ नीलकंठ और आसपास क्षेत्र में 50 हाथी तालाब बनाने का काम शुरू हो गया है। हिमालय को बचाने के लिए सामूहिक पहल जरूरी है। उसको लेकर धरातल पर काम होना जरूरी है।
वन एवं पर्यावरण मंत्री उत्तराखंड सुबोध उनियाल ने कहा कि गंगा के तट से हिमालय को बचाने की मुहिम शुरू हो रही है, जो जरूर सफल होगी। वन विभाग की नीतियों में भी हम आमूलचूल परिवर्तन करने जा रहे हैं। जंगल के अस्तित्व को बचाते हुए हिमालय के अस्तित्व को बचाने का हम काम करेंगे।
कार्यक्रम में उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल व उत्तर प्रदेश की महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य, पदम भूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी, स्वामी गोविंद गिरी महाराज,विधायक गोपाल राम टमटा,रेणु बिष्ट आदि मौजूद रहे।