नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना और सेना के लिए नई ताकत बना स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) ‘प्रचंड’ अब चीन की सीमा पर तैनात होने जा रहा है। चीनी खतरे को देखते हुए असम के मिसामारी में तैनात करके सेना प्रचंड के साथ अपनी हवाई युद्धक क्षमता बढ़ाएगी। यहां से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) महज 250 किमी. दूरी पर है। इस महीने के अंत तक मिसामारी में तैनात होने वाले चार एलसीएच अरुणाचल प्रदेश में भी एलएसी के अग्रिम इलाकों को कवर करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने इस साल मार्च में 3,887 करोड़ रुपये की लागत से 15 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों (एलसीएच) की खरीद के साथ-साथ 377 करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचे को मंजूरी दी थी। इसमें 10 हेलीकॉप्टर वायु सेना को और 05 हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को मिलने हैं। अब तक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से भारतीय सेना को तीन और वायु सेना को चार एलसीएच मिल चुके हैं। वायु सेना ने 03 अक्टूबर को चार ‘प्रचंड’ के साथ पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर जोधपुर में पहली एलसीएच स्क्वाड्रन ‘धनुष’ शुरू की है। एचएएल से मिलने वाले सभी 10 एलसीएच इसी स्क्वाड्रन में रखे जाएंगे। इसके अलावा वायु सेना को 65 और एलसीएच ‘प्रचंड की जरूरत है।
सेना ने इसी साल जून में बेंगलुरु में 351 आर्मी एविएशन की एक स्क्वाड्रन बना ली थी, जिसे अब तक मिले तीन एलसीएच प्रचंड के साथ चीन सीमा के पास मिसामारी में शिफ्ट किये जाने की तैयारी है। मार्च, 2021 में एलएसी से महज 250 किमी. की दूरी पर असम के मिसामारी में आर्मी एविएशन की ब्रिगेड बनाई गई थी। तीन आर्मी एविएशन ब्रिगेड में से एक का मुख्यालय मिसामारी में है, जबकि एक-एक लेह और जोधपुर में हैं। मिसामारी एविएशन ब्रिगेड का गठन एलएसी के करीब पूर्वी क्षेत्र में जमीनी बलों का समर्थन करने के लिए और सेना की हवाई युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया गया था। यह ब्रिगेड राडार और उपग्रह इमेजरी से एलएसी के पार चीनी गतिविधियों की सटीक तस्वीर देती है।
सेना को चौथा प्रचंड इसी माह के अंत तक मिलेगा, जिसके बाद चार हेलिकॉप्टरों के साथ मिसामारी से परिचालन शुरू करने की तैयारी है। सेना को पांचवां ‘प्रचंड’ नवंबर तक मिलने की उम्मीद है, जिसे भी मिसामारी में तैनात किया जायेगा। यहां एलसीएच के अलावा हथियार युक्त उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव, रुद्र एएलएच के हथियार युक्त संस्करण और उन्नत इजरायली हेरॉन यूएवी भी तैनात किए जाएंगे। यह हेलीकॉप्टर जमीनी स्थिति और हवा से हवा में मुकाबला करने के लिए टैंक रोधी और अन्य आक्रामक अभियानों के लिए शक्तिशाली है। योजना के मुताबिक सेना को 95 और एलसीएच ‘प्रचंड’ की जरूरत है, जिनकी सात यूनिट्स अलग-अलग पहाड़ी इलाकों पर बनाई जाएंगी।
भारतीय सेना और वायु सेना 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनातनी की शुरुआत के बाद से चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपनी-अपनी वायु शक्ति बढ़ा रही है। आर्मी एविएशन कॉर्प्स के हेलीकॉप्टर संघर्ष और शांति क्षेत्रों में उड़ान भरते हैं। भारतीय सेना के लिए एविएशन कॉर्प्स महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऑपरेशन या स्वास्थ्य आपात स्थिति के दौरान घायल सैनिकों को निकालने के लिए कार्रवाई में लगाया गया है। आर्मी एविएशन कॉर्प्स की स्थापना 1 नवंबर 1986 को हुई थी। अतीत में आर्मी एविएशन ने न केवल कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि लद्दाख में चल रहे भारत-चीन गतिरोध के दौरान विभिन्न कार्यों को करने में भी यह सबसे आगे रही है।
आर्मी एविएशन कॉर्प्स के हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल टोही, निरीक्षण, हताहतों को निकालने, आवश्यक लोड ड्रॉप, लड़ाकू खोज और बचाव के लिए किया जा रहा है। एलसीएच ‘प्रचंड’ की खूबियां पर्वतीय युद्ध के लिए काफी हैं, क्योंकि यह 16 हजार फीट पर भी पेलोड के साथ टेक ऑफ और लैंडिंग कर सकता है। यह हेलीकॉप्टर कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएआर), शत्रु वायु रक्षा (डीईएडी), काउंटर इंसर्जेंसी (सीआई), हाई एल्टीट्यूड बंकर बस्टिंग ऑपरेशन के लिए उपयुक्त है। यह हेलीकॉप्टर 20 एमएम बुर्ज गन, 70 एमएम रॉकेट लॉन्चिंग सिस्टम, एयर टू ग्राउंड और एयर टू एयर लॉन्चिंग मिसाइल सिस्टम से लैस है। दो इंजन वाला एलसीएच ‘प्रचंड’ 5.8 टन वर्ग का लड़ाकू हेलीकॉप्टर है, जिसमें दो लोग बैठ सकते हैं।