स्वामी दिव्यांशाचार्य आचार्य बेला इंडिया टेंपल के उत्तराधिकारी नियुक्त

हरिद्वार: गोवर्धन पीठाधीश्वर स्वामी गोवर्धन रंगाचार्य महाराज ने कहा है कि वैष्णव संतों की गौरवशाली परंपराएं विश्व विख्यात है और हरिद्वार के संतों ने राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करने में जो भूमिका निभाई है, वह अकल्पनीय है।

भूपतवाला स्थित आचार्य वेला इंडिया टेंपल में जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्यामनारायणाचार्य महाराज के कृपा पात्र शिष्य स्वामी दिव्यांशाचार्य महाराज का वैष्णव संप्रदाय एवं सभी 13 अखाड़ों के संत महापुरुषों के सानिध्य में तिलक चादर प्रदान एवं पट्टा अभिषेक कर स्वामी श्यामनारायणाचार्य महाराज का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी गोवर्धन रंगाचार्य महाराज ने कहा कि स्वामी श्यामनारायणाचार्य महाराज वयोवृद्ध अवस्था में भी भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। हमें पूरी आशा है कि उनके कृपा पात्र शिष्य स्वामी दिव्यांशाचार्य महाराज सनातन परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी अहम भूमिका सुनिश्चित करेंगे। जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्यामनारायणाचार्य महाराज ने कहा कि गुरु को सुयोग्य शिष्य मिल जाए तो उसका जीवन सफल हो जाता है।

नवनियुक्त उत्तराधिकारी स्वामी दिव्यांशाचार्य महाराज ने कहा कि जो दायित्व उन्हें संत समाज द्वारा सौंपा गया है। उसका वह पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे और अपने गुरु की सेवा करते हुए गौ गंगा संरक्षण, धर्म का प्रचार प्रसार, गरीब असहाय की सेवा करना ही उनके जीवन का मूल उद्देश्य होगा। उन्होंने कहा कि गुरु परमात्मा का दूसरा स्वरूप होते हैं।

बाबा हठयोगी एवं स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि योग्य गुरु को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। स्वामी दिव्यांशाचार्य महाराज कुशल व्यवहार के धनी और विद्वान एवं तपस्वी हैं। जो अपने गुरु के अधूरे कार्यों को पूर्ण करते हुए उनकी परंपराओं को आगे बढ़ाएंगे और आचार्य बेला इंडिया टेंपल को सेवा के क्षेत्र में गौरवान्वित करेंगे।

इस अवसर पर महंत अरुण दास, महंत सूरज दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत दुर्गादास, महंत शिवानंद, महंत निर्मल दास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महंत प्रेमदास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत अंकित शरण, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।