हिमाचल में नशे के खात्मे के लिए एंटी ड्रग एब्यूज इन्फोर्समेंट ऑथोरिटी करेगी कांग्रेस


शिमला, 30 अक्टूबर (हि.स.)। कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में नशे के बढ़ते कारोबार के खात्मे का दावा किया है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव गोकुल बुटेल ने रविवार को शिमला में प्रेस वार्ता में कहा कि कांग्रेस सरकार बनते ही हिमाचल में एंटी ड्रग एब्यूज इन्फोर्समेंट ऑथोरिटी ( एडीईए) का गठन किया जाएगा। यह देश में अपनी तरह की इंडीपेंडेंट ऑथोरिटी होगी, इसमें मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, डीजीपी या अन्य कोई भी अधिकारी हस्तक्षेप नहीं कर सकेगा। इसकी कमान हाईकोर्ट के सीटिंग जज या लोकायुक्त के हाथों होगी।

गोकुल बुटेल ने मौजूदा भाजपा सरकार पर नशे को रोकने में नाकाम रहने के आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने जो ड्रग कंट्रोल ब्यूरो बनाया है, वो निष्प्रभावी है। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार ने नशे की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए और चुनावों को आते देख इस साल फरवरी में सरकार ने एक पॉलिसी नोटिफाई की , मगर इसको भी लागू नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन और हिमाचल के डीजीपी इसको लागू करने में कोताही बरत रहे हैं। जयराम सरकार इसको लागू नहीं करवा रही। उन्होंने जयराम सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पांच साल में नशे को कंट्रोल करने के लिए अपनी राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं दिखाई।

कांग्रेस नेता ने पुलिस प्रशासन की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस साल भांग और अफीम की खेती नष्ट करने किए कोई कदम नहीं उठाए गए। उन्होंने कहा कि आमूनन हर साल बरसात में पुलिस द्वारा इनकी खेती को नष्ट किया जाता है, लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं किया। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है।

गोकुल बुटेल ने आरोप जड़ा कि नशे का कारोबार बिना किसी संरक्षण के फैल नहीं सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि हिमाचल में आखिर कौन ड्रग माफिया को संरक्षण दे रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार नशे के खात्मे के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाएगी ताकि युवा पीढ़ि से इससे बचाया जा सके.

गोकुल बुटेल ने कहा कि हिमाचल में वर्तमान में मात्र छह नशा निवारण केंद्र हैं जो कि नशा निवारण से ज्यादा प्रताडऩा के केंद्र बने हुए हैं. यहां आने वाले युवाओं को यातनाएं दी जाती हैं। यही नहीं इन नशा निवारण केंद्रों को भाजपा सरकार ने भाई भतीजावाद अपनाकर अपनों को आवंटित किया है। नशा निवारण केंद्रों में साइकोलॉजिस्ट, योगा प्रशिक्षक तैनात होने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है।