देहरादून: मुख्यमंत्री ने आपदाओं के प्रभाव को कम करने को पूर्व तैयारी ही आपदाओं से बचने का उपाय अपनाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि राज्य में डिजास्टर मैनेजमेंट पर होनी वाली तमाम कार्यशालाओं में आने वाले निष्कर्ष सिर्फ थ्योरी तक सीमित नही रहने चाहिए बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के समय उपयोगी सिद्ध होने चाहिए। कार्यशालाओं के यह निष्कर्ष मुख्यमंत्री कार्यालय को भी ससमय उपलब्ध कराए जाएं ताकि इन अनुभवों को समय पर उपयोग किया जा सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास से राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान और उत्तराखंड प्रशासनिक अकादमी, नैनीताल के साझे प्रयासों से रिडयूसिंग रिस्क कैपेसिटी बिल्डिंग इन दा माउंटेन स्टेट विषय पर आयोजित कार्यशाला में वर्चुअल माध्यम से प्रतिभाग किया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि केदारनाथ आपदा और उसके बाद राज्य में आई कई अन्य आपदाओं से सीख लेते हुए उत्तराखंड राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग अपने अनुभवों एवं सम्बन्धित संस्थाओं के सहयोग से एक ऐसी प्रणाली विकसित करने में सफल होगा जिससे कि हम आने वाले समय में अपने राज्य के साथ-साथ अन्य राज्यों की भी आपदाओं के दौरान मदद करने में सफल हो सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान से अपेक्षा की कि वह स्थानीय क्षमता निर्माण में उत्तराखंड राज्य एवं आपदा की दृष्टि से संवेदनशील समस्त राज्यों को सहयोग प्रदान करे। संस्थान उत्तराखंड और अन्य पर्वतीय राज्यों को तकनीकी और अन्य प्रकार की सहायता प्रदान करके आपदा प्रबन्धन में उनकी क्षमता विकास में मदद कर सकता है।
आपदा प्रबन्धन के लिए क्षमता विकास के लिए वर्ष 1995 में कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा डॉ. आरएस टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी नैनीताल में आपदा प्रबन्धन प्रकोष्ठ स्थापित किया गया। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान द्वारा आपदाओं के न्यूनीकरण एवं क्षमता विकास हेतु साऊथ कैम्पस गुन्टूर आन्ध्र प्रदेश में स्थापित किया गया है और अब पर्वतीय राज्यों हेतु एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस अकादमी, नैनीताल में स्थापित करने एवं आपदा प्रबन्धन में क्षमता विकास किए जाने में पूर्ण सहयोग एवं सहायता देने हेतु अपनी सहमति दी गई है। इसके साथ ही अकादमी में आज लगभग 247 लाख रुपये की लागत से किए गए ऑडिटोरियम के उच्चीकरण कार्य का भी लोकार्पण किया गया जिससे भविष्य में अकादमी में प्रशिक्षण हेतु आने वाले प्रशिक्षु लाभान्वित होगे।
कार्यशाला में विधायक सरिता आर्या, पर्यावरणविद् श्री चण्डी प्रसाद भट्ट, वरिष्ठ इतिहासकार शेखर पाठक, भगवती प्रसाद पाण्डे, कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति एन के जोशी, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान के अधिशासी निदेशक ताज हसन, प्रो सन्तोष कुमार, कुमाऊं मण्डल के आयुक्त दीपक रावत तथा हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, असम, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैण्ड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली के विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे।