लखनऊ: बौद्ध धर्मगुरू परम पावन दलाई लामा को गांधी मंडेला पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर सहित विभिन्न स्थानों पर उनके समर्थकों में खुशी की लहर है। इसके साथ समर्थकों ने परम पावन दलाई लामा को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान कराये जाने की मांग भी की है।
दलाई लामा को मिले सम्मान पर भारत तिब्बत संवाद मंच के अन्तर्राष्ट्रीय समन्वयक डा. शुभलाल ने कहा कि पूरे विश्व में परम पावन दलाई लामा इस सम्मान के लिये सबसे योग्य व्यक्ति हैं क्योंकि वह शांति के सार्वभौमिक दूत हैं। दलाई लामा ने विश्व को अहिंसा और करूणा के सिद्धांत दिए हैं, जिनकी आज के समय में सर्वाधिक आवश्यकता है। क्योंकि यह सेना की शक्ति से अधिक प्रभावी हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में दूसरों के प्रति सद्भावना, करूणा और प्रेम की भावना है और यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। जिसे आगे बढ़ाने का काम परम पावन दलाई लामा ने किया है। महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला के बाद दलाई लामा ही हैं, जिनमें विश्व नागरिक बनने की क्षमता है। वह किसी भी देश सीमाओं से बंधे व्यक्ति नहीं हैं।
वाराणसी के सारनाथ स्थित तिब्बतन यूनिवर्सिटी में कार्यरत प्रोफेसर रमेश नेगी ने कहा कि दलाई लामा हजारों बुद्धिजीवियों के मार्गदर्शक हैं। उन्हें सम्मान देने वाला स्वयं को सम्मानित मानता है। भारत रत्न की मांग की जा रही है और वह भी इसे सही मानते हैं। परम पावन दलाई लामा ने देश दुनिया में शांति का जो संदेश दिया है, उसका अनुसरण कर के ही विश्व गुरु बना जा सकता है।
लखनऊ विश्वविद्यालय में कार्यरत डाॅ. संजय शुक्ला ने आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को सम्मान मिलने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने दलाई लामा के लिए अपने शब्दों में कहा कि वह बड़े समुदाय के रक्षक है और युवा पीढ़ी को शिक्षा देने वाले हैं। विश्व में व्याप्त अशांति के दौर में दलाई लामा ने शांति का उपदेश दिया जो हमें यह बताता है कि शांति स्थापित करके सभी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने परम पावन दलाई लामा को विश्व में दया, एकता, अहिंसा पर जोर देने के लिए यह शांति पुरस्कार दिया है। यह कार्यक्रम एक फाउंडेशन की ओर से आयोजित था, जिसमें हिमाचल प्रदेश के गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही।