सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन छठ पूजा को बहुत ही खास माना गया है जो कि 36 घंटों का व्रत होता है छठ व्रत को सबसे अधिक कठिन माना गया है। छठ पूजा में साफ सफाई के साथ साथ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है यह पर्व पूरे तीन दिनों तक चलता है। इस दौरान भक्त छठी मैया और भगवान सूर्यदेव की विधिवत पूजा करते हैं। पंचांग के अनुसार छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी की 5 नवंबर से हो चुकी है और इसका समापन अष्टमी यानी 8 नवंबर को होगा। आज छठ का दूसरा दिन है जिसे खरना के नाम से जाना जाता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा खरना पूजा की विधि और नियम के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
-खरना की विधि और नियम—
आपको बता दें कि छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना नाम से जाना जाता है इस बार खरना 6 नवंबर यानी आज किया जा रहा है। खरना पर महिलाएं व्रत का संकल्प लेती है इसी से 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है। इसी दिन छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद माता रानी की पूजा कर गीत गायन के साथ रोटी, गुड़ की खीर तैयार करती है। साथ ही फलों का माता रानी को भोग लगाया जाता है।
खरना के दिन व्रती महिलाएं छठ मैया का विशेष प्रसाद तैयार करती है शाम के समय भगवान को अर्पित करने के बाद ही उसे ग्रहण किया जाता है खरना से जो उपवास आरंभ होता है वह सप्तमी तिथि के दिन सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही समाप्त हो जाता है। छठ पूजा के दूसरे दिन यानी खरना के दिन व्रती महिलाएं स्नान करने के बाद चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाती है इसके लिए पीतल या फिर मिट्टी के बर्तनों का ही प्रयोग होता है खीर बनाने से लेकर इसे रखने तक शुद्धता का खास ध्यान रखा जाता है। खीर के अलावा ठेकुआ और लड्डू भी प्रसाद के तौर पर तैयार किया जाता है।