नाइजीरिया के लागोस में आईएनएस सुमेधा, गिनी खाड़ी में भारतीय नौसेना की तैनाती

नई दिल्ली: भारतीय नौसेना का जहाज ‘आईएनएस सुमेधा’ नाइजीरिया के लागोस पहुंचा है। ‘आईएनएस सुमेधा’ ने गिनी की खाड़ी में अपनी तैनाती के रूप में नाइजीरिया के लागोस में पोर्ट कॉल किया है। यह समुद्री डकैती की आशंका वाली गिनी की खाड़ी (जीओजी) गश्ती दल में भारतीय नौसेना की दूसरी तैनाती है।

भारतीय नौसेना का लक्ष्य समुद्री डकैती से निपटने और निर्बाध रूप से व्यापार सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय देशों के साथ साझेदारी करना है। नौसेना के मुताबिक इस यात्रा का उद्देश्य भारत और नाइजीरिया की नौसेनाओं के बीच राजनयिक संबंधों को और सुदृढ़ बनाना, समुद्री सहयोग और और अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देना है।

भारतीय नौसेना ने बताया कि सर्वोत्तम प्रणालियों के आदान-प्रदान के लिए पेशेवर विचार-विमर्श, बंदरगाह में योजना निर्धारण सम्मेलन और समुद्र में अभ्यास सहित विभिन्न गतिविधियां निर्धारित की गई हैं। सामाजिक गतिविधियों और खेल आयोजनों के अतिरिक्त, जहाज में स्थानीय आबादी के लिए नाइजीरियाई नौसेना के डॉक्टरों के साथ एक चिकित्सा शिविर का आयोजन किया।

भारतीय नौसेना पोत सुमेधा, दोनों नौसेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता बढ़ाने के उद्देश्य से नाइजीरियन नेवी शिप (एनएनएस) यूनिटी के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास भी करेगा। कमांडर एमसी चंदीप की कमान में आईएनएस सुमेधा, स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित ‘सरयू’ क्लास नेवल ऑफशोर पेट्रोल वेसल (एनओपीवी) का तीसरा पोत है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक जहाज में स्वतंत्र रूप से और बेड़े संचालन के समर्थन में कई भूमिकाओं में कार्य करने की क्षमता है। यह हथियार प्रणालियों, सेंसर, अत्याधुनिक नेविगेशन, संचार प्रणालियों और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सुइट्स से सुसज्जित है। आईएनएस सुमेधा ने अतीत में विभिन्न बेड़े समर्थन अभियान, तटीय और अपतटीय गश्त, महासागर निगरानी और मानवीय सहायता और आपदा राहत के लिए मिशन चलाए हैं। इनमें 23 अप्रैल को युद्ध प्रभावित सूडान से भारतीय प्रवासियों को निकालने के लिए हाल ही में आयोजित ऑपरेशन कावेरी भी शामिल है।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि नाइजीरिया और भारत के बीच पारंपरिक रूप से मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं, वे लोकतंत्र, विकास और धर्मनिरपेक्षता के साझा मूल्यों में विश्वास रखते हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए कई द्विपक्षीय व्यवस्थाएं मौजूद हैं। यह तैनाती पश्चिम अफ्रीकी देशों के साथ भारत के मधुर और सौहार्दपूर्ण संबंधों को भी उजागर करती है।