शिमला: हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश से सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बाढ़ और भूस्खलन में आधा दर्जन लोगों के लापता होने की सूचना है। ऐसी आशंका है कि वे अचानक आई बाढ़ में डूब या भूस्खलन में दब गए होंगे। खराब मौसम के कारण राहत एवं बचाव अभियान प्रभावित हुआ है। इसके अलावा अधिकांश लिंक और प्रमुख सड़कें, राष्ट्रीय राजमार्ग, रेल, वायु, जल आपूर्ति और बिजली सेवायें अचानक आई बाढ़, भूस्खलन और भारी पत्थरों से उत्पन्न बाधाओं के कारण बाधित हो गई हैं।
किन्नौर से मिली जानकारी के अनुसार इस जनजातीय जिले में लगातार बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने के कारण शिमला और किन्नौर जिलों के बीच सड़क संचार बाधित हो गया है। लुहरी आनी बंजार रोड पर राष्ट्रीय राजमार्ग 305 की स्थिति जोखिम मुक्त यातायात के लिए उपयुक्त नहीं है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के कार्यकारी अभियंता के एल सुमन ने कहा कि शिमला और किन्नौर को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर अवरुद्ध है और आनी बंजार एनएच की हालत भी खराब है।
शिमला, कुल्लू और किन्नौर के जिला प्रशासन ने लोगों और प्रवासी श्रमिकों को उफान पर चल रही सतलज और ब्यास नदियों के पास न जाने की चेतावनी दी है। अचानक आई बाढ़ और लगातार बारिश के अलावा, बांधों से गाद पनबिजली परियोजनाओं में पानी छोड़े जाने से स्थिति गंभीर हो गई है। सतलज नदी इसके किनारे बने मकानों के लिए भी खतरा पैदा कर रही है।
एनडीआरएफ कर्मी सतलज और ब्यास नदियों के दोनों किनारों पर फंसे पर्यटकों और प्रवासी श्रमिकों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। रविवार को एनडीआरएफ ने कुल्लू में नौ लोगों को बचाया। मंडी जिले के नगवाईं क्षेत्र से भी छह लोगों को बचाया गया। शनिवार शाम एक रेल कार के पटरी से उतरने के बाद कालका-शिमला रेलवे लाइन पर ट्रेन सेवाएं निलंबित कर दी गईं। परिवहन की कमी से सेब और टमाटर उत्पादकों का व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, ऊना, बिलासपुर, सोलन और हमीरपुर जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। इसमें अधिकांश स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश, गरज के साथ छींटे पड़ने और अत्यधिक भारी बारिश होने का अनुमान जताया है।
एक या दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ वर्षा होने के आसार हैं। मौसम विभाग के मुताबिक पिछले 72 घंटों में करीब 300 से 350 मिमी बारिश दर्ज की गई है। बाढ़ का पानी हरियाणा, पंजाब, एनसीआर दिल्ली और राजस्थान के जलग्रहण क्षेत्र में तबाही मचा सकता है, सभी प्रमुख नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।