लखनऊ: राज्य विद्युत उत्पादन निगम को दो बिजलीघर लगाने की सलाह देते-देते एनटीपीसी ने दोनों बिजलीघर बनाने का प्रोजेक्ट हथिया लिया। पिछले दिनों ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में दोनों बिजलीघर बनाने को लेकर एनटीपीसी व ऊर्जा विभाग के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस समझौते पर सवाल उठाते हुए सख्त आपत्ति की है। परिषद शीघ्र ही इस मामले में राज्य विद्युत नियामक आयोग में इसे चुनौती देगा।
जानकारी के अनुसार राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने अनपरा-ई और ओबरा-डी के लिए ‘डीपीआर’ बनाने के लिए एनटीपीसी को कंसलटेंट नियुक्त किया था। यह कंपनी बिजलीघर लगाने के लिए सलाह दे रही थी, पर पिछले दिनों ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में सलाह देने वाली कंपनी एनटीपीसी ने दोनों बिजलीघरों को बनाने का प्रोजेक्ट हथिया लिया।
परिषद का तर्क है कि अगर दोनों बिजलीघर उत्पादन निगम बनाता तो प्रदेश को सस्ती बिजली मुहैया होती, क्योंकि उत्पादन निगम ढाई से तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से पावर कॉरपोरेशन को बिजली विक्रय करता, पर एनटीपीसी से पास दोनों बिजलीघर चले जाने से पावर कॉरपोरेशन को महंगी बिजली मिलना तय है। ऐसे में इसका असर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ने के आशंका है।
उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश सरकार से इस एमओयू पर पुनर्विचार करने की मांग उठाई है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि उत्पादन निगम ने जिसे कंसलटेंट नियुक्त कर रखा है, उसे मालिकाना हक देना नियमों के विपरीत है। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाय।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि यह ‘इनसाइडर ट्रेडिंग’ का मामला है। आम भाषा में इसे भेदिया व्यापार या गुप्त व्यापार कहा जाता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में नियामक आयोग ने अपने एक निर्णय में फैसला दिया था कि वर्ष 2027 तक प्रदेश में तापीय बिजलीघर लगाने की आवश्यकता नहीं है। जो कोयला आधारित पावर परचेज एग्रीमेंट किए गए हैं, वह 2027 तक के लिए मांग के अनुरूप पर्याप्त हैं।
परिषद की ओर से कहा गया है कि दो प्रतिशत ‘रिटर्न ऑफ एक्युटी’ यानी लाभ पर काम करने वाला उत्पादन निगम प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए 2.50 से 3 रुपये प्रति यूनिट तक की दर से बिजली पैदा कर रहा है। आने वाले समय में अगर एनटीपीसी इस प्रोजेक्ट को आगे बढाएगा तो निश्चित तौर पर 5 प्रति यूनिट के ऊपर यह बिजली प्रदेश को उपलब्ध होगी। ऐसे में यह प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए बहुत बड़ा घाटे का सौदा होगा।
इस सिलसिले में पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज व अन्य अधिकारियों से विभाग का पक्ष जानने का प्रयास किया गया, पर कोई जानकारी नहीं दी गई।