धर्म: षटतिला एकादशी यानी कि साल की दूसरी एकादशी 18 जनवरी है। इस एकादशी पर तिलों का 6 प्रकार से प्रयोग करने की मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने और तिल का धार्मिक कार्यों में प्रयोग करने से व्रती को निर्धनता और कष्ट से मुक्ति मिलती है और बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षट्तिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा करने का विधान है। पूजा में काले तिल का प्रयोग करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन की पूजा में काली गाय का भी विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को रखने से व्यक्ति को कन्यादान, हजारों सालों की तपस्या और स्वर्ण दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
–षटतिला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
इस बार षट्तिला एकादशी का व्रत 18 जनवरी बुधवार को रखा जाएगा।
षट्तिला एकादशी तिथि का आरंभ : 17 जनवरी शाम को 6 बजकर 20 मिनट से
षट्तिला एकादशी तिथि का समापन : 18 जनवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर
व्रत का पारण : 19 जनवरी को सुबह 7 बजकर 2 मिनट से 9 बजकर 9 मिनट तक
–षटतिला एकादशी व्रत की पूजाविधि
षटतिला एकादशी पर व्रती सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। उसके बाद पूजास्थल को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। उसके बाद लकड़ी की एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की प्रतिमा को स्थापित कर लें। उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं और फिर विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के बाद एकादशी पर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। भगवान को भोग तुलसी, जल, फल, नारियल और फूल चढ़ाएं। उसके बाद द्वादशी पर पारण करें और दान पुण्य करने के बाद अन्न ग्रहण कर सकते हैं।
–षटतिला एकादशी पर तिल के प्रयोग
षटतिला एकादशी पर तिल का 6 तरीके से प्रयोग किया जाता है। पहला तिल मिश्रित जल से स्नान करें। दूसरा तिल के तेल से मालिश, तीसरा तिलों का हवन, चौथा तिलों वाले पानी का सेवन, पांचवां तिलों का दान और छठा तिलों से बने पदार्थों का सेवन। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, षटतिला एकादशी पर इन प्रकार के से तिल का सेवन करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ इस दिन तिल का दान करने से आपकी दरिद्रता दूर होती है और आप धनवान बनते हैं।