हरिद्वार: जीवन में सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। अपनी इच्छाशक्ति के चलते व्यक्ति उम्र के किसी भी पड़ाव में अपने से छोटे व बड़े तथा अनुभवी व्यक्ति से कुछ भी सीख सकता है। यह विचार गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के लिए चलाये जा रहे दस दिवसीय स्किल डवलपमेंट कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर विशेष प्रतिभा का वास होता है। परन्तु उचित अवसर व मंच उपलब्ध नही ंहोने के चलते वह समाज के सामने नहीं आ पाती है। इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से व्यक्ति विशेष की प्रतिभा को सामने लाने के अवसर उपलब्ध होते हैैं। आशा है आप लोग इन दस दिनों के अन्दर बहुत कुछ यहां से सींखेगे और अपने को और अधिक ऊर्जावान महसूस करेंगे।
कुलसचिव डा. सुनील कुमार ने कहा कि कर्मचारियों के कौशल में वृद्धि के लिए आयोजित किये जा रहे इस कार्यक्रम में विभिन्न विषय विशेषज्ञों कर्मचारियों के साथ अपने अनुभव साझा करेंगे, जिससे निश्चय ही कर्मचारियों को बहुत कुछ और नया सीखने को मिलेगा जिससे उनकी प्रतिभा में ओर अधिक विकास होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा करते हुए वैदिक शिक्षा प्रणाली व आर्य समाज द्वारा समाज के विकास में किये गये योगदान व समाज में आर्य जीवन प्रणाली पर विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर प्रकाश चन्द तिवारी, प्रमोद कुमार, हेमन्त सिंह नेगी, बृजेन्द्र सिंह, कमल सिंह, कुलभूषण शर्मा, अजय कुमार, बृजेन्द्र राठी, अमित कुमार धीमान, रीता सहरावत, पारूल सिंह, शांता, मदन मोहन सिंह, रमाशंकर, रमेश चन्द, उमाशंकर, राजकिशोर राठौर, कुलदीप कुमार, राजकुमार, महेश चंद जोशी, संजय शर्मा, महेन्द्र सिंह, संजील कुमार, सुनीत राजपूत, कृष्ण कुमार, मनोज कुमार, उमेश आदि उपस्थित रहे।