विरासत पूरे भारतवर्ष में अपनी एक सांस्कृतिक पहचान बनाई : मुख्यमंत्री धामी

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को 15 दिवसीय 26वां विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल-2022’ का शुभारंभ किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि विरासत पूरे भारतवर्ष में अपनी एक सांस्कृतिक पहचान बनाई है। इस महोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति से दूनवासी झूम उठे। इस तरह महोत्सव की पहली शाम छोलिया नृत्य, कथक और शहनाई वादन के नाम रही।

डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्टेडियम (कौलागढ़ रोड) में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर धामी ने कहा कि विरासत ने पूरे भारतवर्ष में अपनी एक सांस्कृतिक पहचान बनाई है। विरासत का सहयोग करने वाले सभी लोगों को भी मैं धन्यवाद करता हूं।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि विरासत उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश भर में अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है। इसके माध्यम से हमारे स्थानीय कलाकारों को मंच मिलता है। ऐसे मंच से देश-विदेश से आए हुए कलाकारों के साथ उत्तराखंड के कलाकार भी अपना नाम कमा सकते हैं क्योंकि साहित्य, संगीत और कला लोगों को विनम्र बनाता है।

आरके श्रीवास्तव ने विरासत और ओएनजीसी के मजबूत और लंबे संबंध पर चर्चा की और कलाकारों को उनके अपार योगदान के लिए धन्यवाद दिया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुभारंभ उत्तराखंड के लोकप्रिय छोलिया नृत्य के साथ हुआ। इसमें उत्तराखंड के प्रतिष्ठित कलाकारों की प्रस्तुति ने लोगों का मन मोह लिया। यह लोक नृत्य पहले पारंपरिक युद्ध के रूप में होता था जिसमें ढोल, दमोऊ , नगाड़े वाद्य यंत्र जैसे कई यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता था। इस बार पारंपरिक यंत्रों के साथ-साथ अपनी प्रस्तुति को और मनोरंजक बनाने के लिए कैसियो का इस्तेमाल भी किया गया। छोलिया नृत्य प्रस्तुति की शुरुआत देवताओं के आगमन से किया। इसके बाद नव मूर्ति मदोबाज ,छोला युद्ध,मीनार जैसे प्रस्तुतियां दी। इस छोलिया नृत्य में मुख्य कलाकार गीता सरारी के साथ सहायक कलाकार हरीश कुमार (ढोल रणसिंह ) प्रताप राम (बैग पाइपर) मोहन राम, गिरीश कुमार, दर्शन कुमार ,राजू कुमार (छोलिया योद्धा) किशन (ताल ) रोहित (तूकी) राजू (कैसियो) में अपने पारंपरिक यंत्रों पर अपनी संगत दी।

कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति में लोकप्रिय कथक नृत्यक कृष्ण मोहन ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दी। वे अपनी संस्कृति और विरासत को आगे बढ़ाने की धारणा से अपने शिष्यों के साथ यह प्रस्तुति दी। उन्होंने इस बार अपनी नई थीम ’कलर्स ऑफ कत्थक’ पर अदभुत नृत्य प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने कत्थक के सभी पहलुओं का प्रस्तुतीकरण किया एवं प्रस्तुति की शुरुआत कृष्ण की आराधना (सूरदास के पद ) से की। इसके बाद उन्होंने हिंदू काल, मुगल काल तराने सूफी जैसे पदों में प्रस्तुतियां दी। साथ ही साथ उन्होंने एक गजल में कथक की प्रस्तुति दी जो कि उनके द्वारा लिखी एवं संयोजित की गई है। उन्होंने रिदम में फ्यूजन का इस्तेमाल भी एक दायरे में रहते हुए किया एवं उन्होंने एक खास प्रस्तुति पंडित बिरजू महाराज की एक रचना में भी दी।

कार्यक्रम की आखिरी प्रस्तुति शहनाई वादन का रहा। जिसमें लोकप्रिय शहनाई वादक अश्वनी एवं संजीव शंकर ने कथक की धमाकेदार प्रस्तुतियां दी। इस प्रस्तुति में शहनाई वादक अश्वनी और उनके सहायक कलाकार योगेश शंकर (शहनाई वादक )मिथिलेश झां ( तबला वादक) पर संगत दी। अश्वनी एवं संजीव शंकर ने बताया कि उनका परिवार 300 साल से यह कार्य कर रहा है। साथ ही साथ उन्होंने इस परंपरा को आगे बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की बात की। अपनी प्रस्तुति की शुरुआत उन्होंने रागबिहाग और बनारस की ठुमरी से की , उनकी प्रस्तुति में तबला और शहनाई की जुगलबंदी भी नजर आए।

विभिन्न प्रांतों का लगा स्टॉल: विरासत महोत्सव 09 से 23 अक्टूबर तक चलेगा। जहां शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस 15 दिवसीय महोत्सव में भारत के विभिन्न प्रांत से आए हुए संस्थाओं की ओर से स्टॉल भी लगाया गया है। जहां पर आप भारत की विविधताओं का आनंद ले सकते हैं। मुख्य रूप से जो स्टाल लगाए गए हैं। उनमें भारत के विभिन्न प्रकार के व्यंजन,हथकरघा एवं हस्तशिल्प के स्टॉल, अफगानी ड्राई फ्रूट,पारंपरिक क्रोकरी,भारतीय वुडन क्राफ्ट व नागालैंड के बंबू क्राफ्ट के साथ अन्य स्टॉल भी हैं। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।

1995 से विरासत का आयोजन: रीच संस्था अपने स्थापना के 1995 से विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। संस्था की मूल उद्देश्य भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था। विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है।

इस मौके पर आरके श्रीवास्तव प्रबंध निदेशक ओएनजीसी, पूर्व प्रबंध निदेशक ओएनजीसी डॉ. अलका मितल एवं डायरेक्टर ऑपरेशन पंकज कुमार भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन रीच संस्था के महासचिव आर के सिंह ने किया।