अपने जीवन को लेकर दलाईलामा ने कही यह बात, भारत में लेना चाहते हैं दलाईलामा आखिरी सांस

धर्मशाला:  धर्मगुरु दलाईलामा निवासी स्थान में यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीटयूट आफ पीस की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम में दलाईलामा ने अपने जीवन एवं जीवन में अंतिम ईच्छा के बारे में उपस्थित लोगों को बताया। उन्होंने कहा कि वह भारत में अंतिम सांस लेना चाहते हैं। वह चाहते हैं चीन के कृत्रिम अधिकारियों की बजाए भारत के ईमानदार व प्यार करने वाले लाेगों के बीच अंतिम सांस लेना चाहते हैं।

इस पर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हुई उनकी बातचीत को याद करते हुए कहा कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा था कि वह अभी 15-20 साल ओर जीवित रहेंगे। वहीं उन्होंने कहा कि वह स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश में रहकर मरना चाहते हैं। इसके बाद उन्होंने आयोजकों और उपस्थित लोगों को धार्मिक उपदेश दिए और राजनीति संतुलन के बारे में बताया।

चीन ने वर्ष 1950 से तिब्बत को अपने कब्जे में करना शुरू कर दिया था। बाद में स्थिति यह हो गई कि पूरे तिब्बत पर चीन अपना अधिकार जमाने लगा। ऐसे स्थिति को देखते हुए वर्ष 1959 में धर्मगुरु दलाईलामा अपने अनुयायियों को साथ लेकर तिब्बत छाेड़भर भारत में बस गए।

दलाईलामा ट्रस्ट ने सीएम राहत कोष में दिए 10 लाख रुपये

दलाईलामा ट्रस्ट ने मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए 10 लाख रुपये दान किए हैं। ट्रस्ट कार्यालय के वांग्याल लामा ने ट्रस्ट की ओर से चेक मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को सौंपा। चेक को दिखाते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने धर्मगुरु दलाईलामा और ट्रस्ट का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सहयोग जरूरतमंद लोगों के लिए राहत के रूप में दिया जाएगा एवं उनकी सहायता की जाएगी।