ऋषिकेेश: परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष ने पितृपक्ष के अवसर पर कहा कि श्राद्ध भारत की अर्पण, तर्पण और समर्पण की संस्कृति का संदेश देता है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद ने कहा कि पितृपक्ष भारतीय परम्परा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिये पवित्र स्थान या नदी के तट पर श्राद्ध किया जाता है। हिंदू धर्म में वैदिक परंपराओं के अनुसार कई रीति-रिवाज, व्रत-त्यौहार व परंपरायें हैं। हमारे शास्त्रों में गर्भधारण से लेकर मृत्योपरांत तक के संस्कारों का उल्लेख है और श्राद्ध कर्म उन्हीं में से एक है।
उन्होंने कहा कि भारतीय परम्परा में वसुधैव कुटुम्बकम् एवं सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना निहित है। हमारी संस्कृति ’अर्पण, तर्पण और समर्पण’ की संस्कृति है। इस ’अर्पण, तर्पण और समर्पण’ की त्रिवेणी में ऋषियों का बहुत बड़ा योगदान है। हमारे ऋषियों ने समाज की उन्नति के लिये स्वयं को समर्पित किया। जिनकी वजह से आज हम और हमारी संस्कृति जीवंत है। पितृपक्ष के श्रेष्ठ अवसर पर हम दोनों पीढ़ियों के लिये कुछ ऐसा करें जो पितरों और भावी पीढ़ियों दोनों के लिये श्रेयकर हो।