उप्र सरकार से उत्तराखंड परिवहन निगम को मिले 100 करोड़ रुपये

देहरादून: उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उत्तराखंड परिवहन निगम को 100 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है। इस राशि से दोनों राज्यों के परिसंपत्तियों के बंटवारे के मध्य हुई विभाजन की समस्या स्थाई रूप से समाप्त हो गई। सोमवार को शासकीय आवास पर परिवहन मंत्री चंदन राम दास ने पत्रकारों को यह जानकारी दी।

उन्होंने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को धन्यवाद किया। उन्होंने बताया कि राज्य गठन के बाद उत्तराखंड परिवहन निगम को उत्तरप्रदेश परिवहन निगम से परिसंपत्तियों के बंटवारे पर 205.42 करोड़ का हक मिला है। उप्र परिवहन निगम से पहले 105 करोड़ का भुगतान हुआ था। शेष अवशेष राशि 100 करोड़ बची थी।

उन्होंने ने बताया कि पिछले दिनों बैंगलोर यात्रा के दौरान उत्तरप्रदेश के परिवहन मंत्री से मुलाकात के बाद पत्र भेजा था। वहां के मंत्री ने दूरभाष पर 17 सितंबर को मुझे 100 करोड़ राशि भुगतान की जानकारी दी। बचा हुई यह राशि 100 करोड़ 18 सितंबर को आरजीटीएस से खाते में प्राप्त हो गई है। मंत्री ने बताया कि उत्तराखंड परिवहन विभाग के लिए 100 करोड़ राशि मिलना सुखद विषय है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सहयोग से 104 करोड़ की राशि मार्च में मिली थी।

मंत्री ने बताया कि 150 इलेक्ट्रॉनिक बसों को अनुबंध के तौर पर परिवहन विभाग ने रणनीति बनाई है, 30 सीएनजी बसे खरीदने के लिए बोर्ड से प्रस्ताव पास हुआ है और 30 सामान्य बसें परिवहन निगम खरीदेगा। पर्यावरण की लिहाज से उत्तराखंड की बसों की दिल्ली आवागमन में दिक्कत आ सकती है। हमनें वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में 200 बसों का बेड़ा तैयारी किया है। उत्तराखंड के यात्रियों को यात्रा में कोई दिक्कत न हो इसके लिए सरकार की ओर से पूरी तैयारी कर ली गई है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ यूपी की बसे टैक्स नहीं जमा करती हैं। राजस्व नुकसान न हो इसके लिए परिवहन विभाग को सख्त निर्देश दे दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद अक्टूबर 2003 में उत्तराखंड परिवहन निगम का गठन हुआ था। जिसके बाद से ही लगातार परिसंपत्तियों के बंटवारे का मुद्दा चलता आया है। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने उत्तर प्रदेश से परिवहन निगम की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर वर्ष 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट नैनीताल ने केंद्रीय परिवहन सचिव को तलब किया था। हाईकोर्ट ने यूपी को आदेश दिए थे कि वह बंटवारे के तहत 28 करोड़ रुपये की किश्त के हिसाब से भुगतान करें। इसके खिलाफ यूपी परिवहन निगम के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। जिसे वापस ले लिया जाएगा।