हनुमान जन्मोत्सव 2025: हनुमान जयंती पर बजरंग बाण का महत्व, नियम और पाठ

इस बार चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जन्मोत्सव का पर्व 12 अप्रैल को है। हनुमान जन्मोत्सव पर विधि-विधान के साथ बजरंगबली की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भक्त हनुमान जी की सच्चे मन से आराधना करता है उसकी हर एक मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है। बजरंग बाण रामभक्त हनुमान जी को प्रसन्न करने और जीवन में आने वाली हर तरह की बाधाओं पर विजय पाने के लिए हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जहां नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन शांत, सुख-समृद्धि और जीवन की हर एक मनोकामाएं पूरी होती हैं, वहीं बजरंग पाठ का पाठ करने से जीवन के संकट फौरन ही दूर हो जाते हैं। बजरंग बाण का पाठ करने से हनुमान जी अपने भक्तों के कष्ट को हरते हैं और सभी तरह के भय को दूर करते हैं। बजरंग बाण का पाठ करना जीवन में कठिनाओं से सामना करना आसान हो जाता है। बजरंग बाण का पाठ करने से बहुत सारे लाभ और हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं बजरंग बाण के पाठ का महत्व और करने के नियम और फायदे।

बजरंग बाण पाठ का महत्व हिंदू धर्म में बजरंग बाण के पाठ का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी ऐसे देवता हैं जो भक्तों के सभी दुखों और आने वाले संकटों को हर करके भय और डस से मुक्त करते हैं। आने वाले संकटों और भय से मुक्ति पाने के लिए जहां एक तरफ हनुमान चालीसा का पाठ बहुत ही कारगर माना जाता है वहीं अगर बजरंग बाण का पाठ किया जाए तो हनुमानजी की कृपा के साथ-साथ जीवन से हर तरह की बाधाएं दूर होती हैं और लाभ ही लाभ मिलता है। बजरंग बाण का पाठ हनुमान जी आराधना और उनकी कृपा पाने के लिए सबसे सरल और अचूक उपाय माना जाता है।

बजरंग बाण पाठ के फायदे हनुमानजी की आराधना करने और जीवन में हर तरह की बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना बहुत ही कारगर उपाय होता है। ग्रह दोष से मुक्ति के लिए जिन जातकों की कुंडली में अगर कोई ग्रह दोष मौजूद है तो उनको दूर करने के लिए नियमित रूप से सुबह-सुबह भगवान हनुमान जी की आराधना के बाद बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। इस उपाय से कुंडली में मौजूद दोष दूर होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

गंभीर रोगों से मुक्ति के लिए बजरंग बाण का पाठ जो लोग अगर किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं तो इससे निजात पाने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना बहुत ही प्रभावी होता है। हनुमान जी को 21 पान के पत्तों की माला चढ़ाएं और बजरंग बाण का पाठ करें। विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए अगर किसी जातक या जातिका के विवाह में बाधा आ रही है तो बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह होता है और दांपत्य जीवन सुखमय रहता है। कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए

कार्यक्षेत्र में सफलता और ऊंचे मुकाम हासिल करने के लिए मंगलवार के दिन हनुमानजी का पूजा-अर्चना करके बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। वास्तुदोष दूर करने के लिए घर पर अगर कोई वास्तुदोष है तो इसे दूर करने के लिए नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करें और घर में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें।

बजरंग बाण पाठ के नियम बजरंग बाण के पाठ करने के कुछ नियम होते हैं। – बजरंग बाण पाठ की शुरुआत किसी भी दिन नहीं करना चाहिए। जब भी बजरंग बाण का पाठ शुरू करें तो मंगलवार से इसकी शुरुआत करें। – जिस भी मनोकामना के पूरा होने के लिए आप बजरंग बाण का पाठ कर रहे हैं तो कम से कम 41 दिनों तक इस पाठ को अवश्य ही करना चाहिए। – बजरंग बाण पाठ के दौरान शरीर पर लाल रंग के कपड़े धारण करें और ब्रह्राचर्य के नियमों का पालन जरूर करें। – बजरंग बाण पाठ करने के दौरान यह संकल्प लेना चाहिए कि इस दौरान नशे और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। बजरंग बाण ” दोहा ” “निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।” “तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥” “चौपाई” जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।। जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।। जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।। आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।। जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।। बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।। अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।। लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।। अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।। जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।। जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।। ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।। गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।। ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।। ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।। सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।। जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।। पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।। वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।। पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।। जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।। बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।। भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।। इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।। जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।। जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।। चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।। उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।। ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।। ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।। अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।। यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।। पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।। यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।। धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।। “दोहा” ” प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। ” ” तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।।